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छिंदवाड़ा

वर्षों का कोयला बाकी, फिर भी थी बंद करने की साजिश

मोआरी खदान में कोयला उत्पादन बंद होने का फैसला में हुआ था। जिसके कारण कन्हान क्षेत्र की अर्थव्यवस्था पर खतरा मंडराने वाला था।

छिंदवाड़ाApr 02, 2018 / 05:31 pm

mantosh singh

coal scam of power company of mp

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जुन्नारदेव . एक ओर 31 मार्च को मोआरी खदान में कोयला उत्पादन बंद होने का फैसला में हुआ था। जिसके कारण कन्हान क्षेत्र की अर्थव्यवस्था पर खतरा मंडराने वाला था। ऐसा नहीं है कि खदानें बंद होंगी तो नई नहीं खुल सकती, शारदा, हर्राडोल, भाखरा खदानें स्वीकृति के बाद भी अटकी हुई हैं। कहीं फॉरेस्ट क्लीयरेंस तो कहीं दूसरी प्रक्रिया के कारण फाइल पेंडिंग हैं। वहीं कर्मचारी संगठन खदान बंद होने के विरोध में लामबंद हो रहे थे। लेकिन कर्मचारी संगठन की एकता इसमें आड़े आ रही है। ऐसे में कर्मचारी संगठन अब एकजुटता की बात कर रहे हैं।
शारदा प्रोजेक्ट बना चुनावी स्टंट: कोयलांचल के कन्हान एरिया की प्रस्तावित भूमिगत कोयला खदान दिग्गज नेताओं के लिए महज चुनावी स्टंट बन कर रह गई है। प्रदेश की मुख्यमंत्री रहते हुए वर्ष 2007 में उमा भारती द्वारा भूमिपूजन व केद्रींय मंत्री रहते हुए जिले के सांसद कमलनाथ के द्वारा प्रस्तावित खदान भूमि के निरीक्षण के बाद से इस बहुप्रतिक्षित खदान के खुलने का सपना खत्म सा हो गया है। लोकसभा चुनाव के दौरान या चुनाव के नजदीक आते ही शारदा भूमिगत कोयला खदान परियोजना दिग्गज नेताओं केलिए चुनावी मुद्दा बन जाता है। इसके अलावा प्रस्तावित हर्राडोल व भाखरा परियोजना कोल इंडिया की बेरूखी का दंश झेल रहे हैं।

 

कोल उत्पादन व खर्च में अंतर भी बड़ी वजह

परियोजना में एक सर्वे के बाद
नागपुर कोल इंडिया की ओर से
आए सर्वेयरों ने इस खदान में
मौजूद कोयले के भंडार को एफ ग्रेड का पाया। इस ग्रेड के कोयले के उत्पादन पर आने वाले खर्च में बड़ा अंतर है। वेकोलि को प्रति टन पर आने वाले खर्च के अनुसार इस
कोयले को लेने वाला कोई
नहीं है। जिस कारण से भी कोल इंडिया इस प्रोजेक्ट को खोलने
के लिए तैयार नही है। प्रतिटन पर
आ रहे खर्चसे कम मूल्य पर
शारदा का कोयला विक्रय होगा जो कोल इंडिया के लिए घाटे का सौदा साबित होगा।
प्रस्तावित खदानें
शारदा खदान
आरक्षित कोयला – 7.54 मिलियन टन
खदान का भविष्य – 28 वर्ष
कोयले का स्तर -एफ ग्रेड (निम्न स्तर)
मानव श्रम (मेन पावर) – 425
भूमि पूजन – 2007 उमा भारती द्वारा
फारेस्ट क्लियरेंस- प्राप्त
ओपनिंग होना बाकी
हर्राडोल
आरक्षित कोयला – 7 लाख टन
खदान का भविष्य – 5 वर्ष
कोयले का स्तर – बी ग्रेड
(कुकिंग कोल व पावर हाउस के
उपयोग का कोयला)
मानव श्रम (मेन पावर) – 300
भूमि पूजन – 2011 कमलनाथ द्वारा (केंद्रीय सडक व परिवहन मंत्री रहते हुए)
फॉरेस्ट क्लीयरेंस- प्राप्त खुलना बाकी
भाखरा
आरक्षित कोयला – 3.3 मिलियन टन
खदान का भविष्य – 13 वर्ष
कोयले का स्तर – बी ग्रेड
(कुकिंग कोल व पावर हाउस के
उपयोग का कोयला)
मानव श्रम(मेन पावर)- 450
भूमिपूजन – 1995 कमलनाथ द्वारा (सांसद रहते हुए)
फॉरेस्ट क्लियरेंस- प्रक्रिया में है।

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