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छिंदवाड़ा

पर्यावरण..तीन साल में 20 वर्ग किमी में बढ़ गया जंगल..जानिए कैसे

फारेस्ट सर्वे ऑफ इंडिया की रिपोर्ट में खुलासा, 2019 में भी सेटेलाइट से दिए थे वृद्धि के संकेत

छिंदवाड़ाJan 18, 2022 / 08:12 pm

manohar soni

patalcot

पातालकोट

छिंदवाड़ा. पर्यावरण के लिए यह खुश खबर काफी राहत देने वाली हैं क्योंकि छिंदवाड़ा जिले में पिछले तीन साल के दौरान जंगल का एरिया 20.12 वर्ग किमी बढ़ गया है। फारेस्ट सर्वे ऑफ इंडिया की हाल ही में जारी रिपोर्ट में यह खुलासा हुआ है। सेटेलाइट के सर्वे से आई इस रिपोर्ट का अब वन अधिकारी-कर्मचारी भौतिक सत्यापन करेंगे।
जिले में कुल 11815 वर्ग किमी क्षेत्र में तीन साल पहले 2019 मेें 29.73 प्रतिशत हिस्से में जंगल था। अब फारेस्ट सर्वे ऑफ इंडिया के नए सर्वेक्षण में वन क्षेत्र 39 प्रतिशत हो गया है। वन अधिकारी मान रहे हैं कि पिछले कुछ साल से पर्यावरण के प्रति जागरुकता बढ़ी है तो वहीं उज्जवला गैस जैसी योजना से जंगल की अवैध कटाई भी कम हुई है। इसके साथ हर साल विरले वन में पौधरोपण भी होने का असर पड़ा हैं। इससे जिले के चौतरफा एरिया में वन क्षेत्र बढ़ा है। इसके साथ ही वन सुरक्षा को भी मजबूत किया गया है। जंगल में वृद्धि होने से पर्यावरण के साथ ही वन्य प्राणी को सुरक्षित आवास मिला है।

इनका कहना है..
फारेस्ट सर्वे ऑफ इंडिया की रिपोर्ट में वन क्षेत्र में वृद्धि पर्यावरण और वन्य प्राणियों के सुरक्षित आवास की दृष्टि से शुभ संकेत हैं। यह लगातार प्लांटेशन और वनों के प्रति जनजागरुकता का परिणाम है। आगे वृद्धि वाले इलाकों का भौतिक सत्यापन भी किया जाएगा।
-केके भारद्वाज, सीसीएफ छिंदवाड़ा।

फारेस्ट सर्वे ऑफ इंडिया की रिपोर्ट में छिंदवाड़ा
वहीं जिले का कुल क्षेत्रफल-11815 वर्ग किमी
कुल वन क्षेत्र-4608.13 वर्ग किमी
कुल क्षेत्रफल में वन-39 प्रतिशत
सघन वन-575.68 वर्ग किमी
मध्यम वन-2021.61 वर्ग किमी
विरले वन-2010.84 वर्ग किमी
वर्ष 2019 से अब तक वृद्धि-20.12 वर्ग किमी
झाडिय़ां-284.14 वर्ग किमी्र


ये वन एवं प्राकृतिक संपदा, जिस पर छिंदवाड़ा को गर्व
1. मात्र तामिया-पातालकोट की घाटियों के वन और प्राकृतिक संपदा नयनाभिराम दृश्यों से भरपूर है।
2. जंगलों के बीच सुकू न देनेवाले देवगढ़, गोदड़देव, हिंगलाज मंदिर, जामसांवली, भरतादेव, कुकड़ीखापा का जलप्रपात, शंकरवन, आंचलकुण्ड, कनकधाम स्थल है।
3. तुलतुला पहाङ़, छोटा महादेव, अनहोनी, सतधारा, मुत्तोर बन्धान, ग्वालगढ़ के शैलचित्र, पाइन गार्डन, भूराभगत, जुन्नारदेव विशाला की पहली पायरी, गैलडुब्बा, बन्दरकूदनी, सल्लेवानी की घाटियां पर्यटकों को आकर्षित करती है।
4.चार साल पहले वर्ष 2017 में मप्र विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी परिषद के वैज्ञानिकों ने 53 वानिकी प्रजातियों को सूचीबद्ध किया था। इनमें महुआ, तेन्दू, आचार, चिरोटा/चिरायता, कालमेघ,आम, वन तुलसी,बहेड़ा, जामुन, अर्जुन और बीजा प्रमुख है।
5.जिले की जंगली सीमा से पेंच नेशनल पार्क और सतपुड़ा टाइगर रिजर्व के बीच टाइगर का आवागमन का कारीडोर माना जाता है
6.जंगलों से ही बाघ, तेन्दुआ के अलावा पातालकोट में गिद्धों का आवास है तो वहीं हिरन, सांभर, पेंगोलिन समेत अन्य वन्य प्राणी पाए जाते हैं।
7. जंगल वनवासियों की रोजी-रोटी का भी जरिया है। लघु वनोपजों जैसे अचार गुठली, महुआ फूल, बालहर्रा, कचरिया, शहद, लाख, करंज बीज आदि का संग्रहण किया जाता है ।
8.राज्य शासन के बीती 10 जनवरी 2019 के राजपत्र में पातालकोट को जैव विविधता विरासत स्थल घोषित किया गया है ।
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