विभाग झाड़ लेता है पल्ला, इस बार कर दी हद
हर वर्ष दाखिले के समय उच्च शिक्षा विभाग कॉलेजों को एक पत्र जारी करता है, जिसमें संसाधन के हिसाब से सीट वृद्धि की छूट दी जाती है। कॉलेज प्राचार्यों को पत्र जारी कर विभाग तो पल्ला झाड़ लेता है, लेकिन दिक्कत शासकीय कॉलेजों को होती है। इस बार तो विभाग ने हर कर दी। कॉलेजों से अनुमति चाहे बिना ही सीएलसी चरण में शासकीय कॉलेजों में स्नातक, स्नातकोत्तर में 25 प्रतिशत की सीट वृद्धि कर डाली। उच्च शिक्षा से जुड़े विषय विशेषज्ञों का कहना है कि स्नातकोत्तर में कई विषय प्रेक्टिकल के होते हैं। इन सबके बावजूद भी विभाग ने 25 प्रतिशत तक वृद्धि कर डाली।
यूजीसी की गाइडलाइन के अनुसार कॉलेजों में 80 विद्यार्थियों पर एक सेक्शन होना चाहिए। वहीं नैक के अनुसार 20 विद्यार्थी पर एक प्राध्यापक मार्गदर्शक होना चाहिए। वर्तमान में पीजी कॉलेज एवं गल्र्स कॉलेज में एक प्राध्यापक पर 300 विद्यार्थियों की जिम्मेदारी है। ऐसे में हर वर्ष की तरह इस बार भी इन कॉलेजों में गाइडलाइन की धज्जियां उड़ेंगी। विशेषज्ञों का कहना है कि छिंदवाड़ा में सिविल सोसायटी सक्रिय नहीं है। अगर एकेडमिक ऑडिट हो जाए तो कॉलेज नियमों पर खरे नहीं उतरेंगे।
यह बात सही है कि विद्यार्थियों की संख्या के हिसाब से संसाधन नहीं है। इसके बाावजूद भी व्यवस्था बनाई जाएगी। विभाग ने प्रस्ताव मांगा था। मैंने मुख्यालय में दो कॉलेज खोलने का प्रस्ताव भेजा था।
डॉ. अमिताभ पांडे, प्राचार्य, पीजी कॉलेज
सीएलसी चरण में 25 प्रतिशत सीट वृद्धि के बाद भी आवेदन अधिक होने पर और सीट बढ़ाने के लिए विभाग को लिखा गया था जो मंजूर हो गया है। इस वर्ष लगभग 11 हजार छात्राएं कॉलेज में अध्ययरत रहेंगी। सबके अध्ययन की व्यवस्था बनाई जाएगी।
डॉ. कामना वर्मा, प्राचार्य, गल्र्स कॉलेज