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छिंदवाड़ा

वे ध्यान देते तो बदल जाती बदहाल पाइप लाइन

जर्जर पाइप लाइन में हर चार दिन में लीकेज,खेतों में बह जाता है शहर का पानी

छिंदवाड़ाApr 20, 2019 / 11:45 am

manohar soni

chhindwara

वे ध्यान देते तो बदल जाती बदहाल पाइप लाइन

छिंदवाड़ा.कन्हरगांव डैम की 35 साल पुरानी पाइप लाइन को दो साल पहले बदल दिया जाता तो पेयजल संकट के दौर में शहर को राहत मिल सकती थी लेकिन राज्य शासन स्तर से 13 करोड़ रुपए के प्रस्ताव को मंजूरी नहीं मिलने से ऐसा नहीं हो सका। इसका नतीजा यह है कि आज भी इस जर्जर पाइप लाइन से जब माचागोरा बांध का पानी गुजरता है तो लीकेज पानी का कुछ हिस्सा भरतादेव के आसपास के खेतों में व्यर्थ ही बह जाता है।
शहर में लोकसभा व विधानसभा चुनाव के मुद्दों पर चर्चा होती है तो सबसे पहले पानी के इस मुद्दे पर जनप्रतिनिधि निशाने पर आ जाते हैं,जिन्होंने निगम का रिकार्ड उठाकर देखा जाए तो कन्हरगांव डैम की परियोजना पीएचई विभाग के माध्यम से वर्ष 1986 में तैयार हुई थी। इसके बाद 12 किमी पाइप लाइन जोडकऱ शहर को पेयजल आपूर्ति का सिलसिला शुरू हुआ था। तब के जमाने में कांक्रीट की पाइप लाइन डाली गई थी। समय के साथ न जाने कितने बार सत्तासीन बदल गए लेकिन ये पाइप लाइन ज्यों की त्यों रही। वर्ष 2015 के नगर निगम चुनाव के बाद कन्हरगांव डैम की पाइप लाइन के बदलाव के लिए सत्तासीन नेताओं ने आश्वासन और घोषणाएं की थी। इसके बाद नगर निगम द्वारा वर्ष 2017 में 13 करोड़ रुपए का पाइप लाइन बदलाव का प्लान तैयार कर राज्य शासन को भेजा गया था। इसके बाद इस प्लान को मंजूरी नहीं मिल सकी।
आम जनमानस में यहीं प्रतिक्रिया है कि कन्हरगांव डैम की जर्जर-बदहाल पाइप लाइन का बदलाव न होने से शहरी पेयजल व्यवस्था प्रभावित हुई है। अभी भी हालत यह है कि भरतादेव में महापौर निवास के पास खेत में हर चार दिन में नगर निगम को लीकेज बनाना पड़ता है। कन्हरगांव डैम से भले ही सप्लाई बंद हो लेकिन माचागोरा का पानी इस जर्जर पाइप लाइन से होकर फिल्टर प्लांट में जाता है। इस समस्या का समाधान नहीं हो पा रहा है। आगे बारिश में डैम भरने पर यहीं से शहर को पानी मिलेगा।लोकसभा और विधानसभा चुनाव के प्रमुख मुद्दों में शामिल इस डैम की जर्जर पाइप लाइन का जिक्र होता है,जिसमें शहर के जनप्रतिनिधि कहीं न कहीं फेल हुए हैं। इसका दुष्परिणाम आम जनता को भुगतना पड़ रहा है।

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