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छिंदवाड़ा

मोटिवेटर बोले- अंतर्निहित दिव्य शक्तियों का विकास ही व्यक्तित्व विकास की धुरी

‘उत्कृष्ट सफलता के लिए सतत प्रेरणा की जरूरत होती है’

छिंदवाड़ाJun 19, 2019 / 11:56 pm

Rajendra Sharma

chhindwara

Organized workshop on employment prospects

कॉलेज छात्रों के लिए ‘संप्रेषण कौशल, व्यक्तित्व विकास एवं रोजगार की संभावनाएं’ विषय पर कार्यशाला आयोजित
छिंदवाड़ा. स्थानीय शासकीय पीजी कॉलेज के अंग्रेजी विभाग के तत्वावधान में छात्रों के लिए लिए सम्प्रेषण कौशल, व्यक्तित्व विकास एवं रोजगार की संभावनाएं विषय पर कार्यशाला आयोजित की गई। कार्यशाला के प्रमुख वक्ता चांद कॉलेज के अंग्रेजी के प्राध्यापक एवं मध्य प्रदेश उच्च शिक्षा विभाग के प्रशिक्षित मोटिवेटर डॉ. अमर सिंह ने छात्रों को सम्बोधित करते हुए कहा कि हमारा जीवन स्तर वही होता है जितनी ऊंचाई हमारे विचारों की होती है। भाषा का सही उपयोग जादुई असर करता है। हम जीवन में वही होते हैं जो हम स्वयं को देते हैं। भाषा सम्प्रेषण कौशल अंतर्निहित संभावनाओं को निखारने में महती भूमिका अदा करता है।
उन्होंने कहा कि अंग्रेजी भाषा के भाव रोजगार व प्रभावी सम्प्रेषण कौशल प्राप्त करने का सशक्त हथियार है। प्रकृति प्राप्त हमारा दिमाग दुर्लभ रचनात्मक शक्तियों का साधन है जिसका सही प्रयोग जीवन में चमत्कारिक फल लाता है। सामान्यतया हम अपने दिमाग की अधिकतम चार से छह प्रतिशत क्षमताओं का प्रयोग कर पाते हैं, बाकी की क्षमताएं अप्रयुक्त पड़ी रहती हैं। अपने दिमाग की सौ प्रतिशत क्षमताओं का रचनात्मक कार्यों में भरपूर प्रयोग करना ही व्यक्तित्व विकास है। छात्र अपनी मौलिक क्षमताओं का कॅरियर निर्माण में लगाएं। छात्र अपने जीवन का रिमोट अपने हाथ में रखें। अपनी जिंदगी के जहाज का कप्तान खुद बनें। अगर हम एक प्रतिशत सुधार रोजाना करेंगे तो वर्षभर में तीन सौ प्रतिशत से अधिक सुधार हो सकता है। एक बार सावधानी से लक्ष्य निर्धारण कर उसकी प्राप्ति के लिए पारदर्शी योजना बनाकर उसमें तन मन धन सब कुछ झोंक दिया जाए तो सफलता हमारे चरण चूमती है।
हम इसलिए थोड़े बने हैं कि जो सामने आता जाए उसके अनुसार हर रोज लक्ष्य बदलते रहें। लक्ष्य पर सौ प्रतिशत फोकस विजय दिलाता है। छात्र मुसीबतों का सामना डटकर करें क्योंकि मसीबतों जे बीच से चमत्कार पैदा होते हैं। असली जिंदगी ऑटोग्राफ लेने से नहीं बल्कि देने से शुरू होती है।
छात्र जीवन में ऐसे सपने देखें कि वे सोने ही न दें

परिचर्चा में परासिया कॉलेज के अंग्रेजी के प्राध्यापक डॉ. पुरुषोत्तम सनेसर ने कहा कि सिर्फ कोरी बातों से नहीं, हम क्या चाहते हैं ये हमारे कार्यों के परिणामों की खनक से दुनिया को पता लगना चाहिए। अगर दिमाग में घासफूस के बीज डालोगे, तो फसल घासफूस की ही उगेगी। अगर हम योजना बनाने में असफल होते हैं तो असफल होने की ही योजना बनाते हैं। छात्र जीवन में ऐसे सपने देखें कि वे सोने ही न दें। डॉ. उमा पंड्या ने अपने उद्बोधन में छात्रों को अपने विषय का विशेषज्ञ बनने, डॉ. तृप्ति मिश्रा ने अंग्रेजी भाषा के क्रियात्मक आधुनिक रूप को समझने, डॉ जीबी डहेरिया ने भाषा की व्याकरणीय बारीकियों को समझने व प्रो. नीलिमा सोनी ने छात्रों को अंग्रेजी के उच्चारण सम्बंधी सावधानियों से अवगत कराया।

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