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छिंदवाड़ा

सीएम के जिले में तबादलों का साइड इफेक्ट: भगवान भरोसे बालिकाएं

जनजातीय कार्य विभाग का कारनामा: रजिस्टर में कर दिया इंचार्ज को रिलीव

छिंदवाड़ाFeb 22, 2019 / 11:42 pm

prabha shankar

Side effects of transfers

Side effects of transfers

छिंदवाड़ा/छिंदी. सत्ता परिवर्तन के बाद जनजातीय कार्य विभाग में थोकबंद किए गए छात्रावास अधीक्षकों के तबादलों के बाद उनकी रिलीविंग का एक घृणित कारनामा सामने आया है। छिंदी बालिका आश्रम की स्थानांतरित छात्रावास की इंचार्ज अधीक्षिका को उनकी गैरमौजूदगी में ही रजिस्टर में रिलीव कर दिया गया। इससे आश्रम में रह रहीं ५० बालिकाएं भगवान भरोसे रह गई हैं। हालात यह हो गए कि वार्षिक परीक्षा के समय ये मासूम बीमार पड़ जाएं या फिर उनके साथ कोई हादसा हो जाए तो कोई देखनेवाला नहीं होगा।
इस आदिवासी कन्या आश्रम में अधीक्षक डी.जोसफ और सहायक अध्यापक दीपक चौरसिया थे। पहले चौरसिया का स्थानांतरण कर दिया गया। फिर जोसफ के भी जुन्नारदेव विकासखण्ड के ग्राम कटकुही में तबादला आदेश हो गए। इनके स्थान पर कोई दूसरा कर्मचारी पदस्थ नहीं किया गया।
जोसफ सरकारी काम से तामिया चली गईं तो उनकी अनुपस्थिति में क्षेत्रीय प्राचार्य और जनशिक्षक ने पहुंचकर रजिस्टर में रिलीविंग आदेश डाल दिया। जबकि किसी भी अधीक्षिका की रिलीविंग का अधिकार सहायक आयुक्त का है। इस रिलीविंग से समस्या यह हुई कि आश्रम में रह रहीं ५० बालिकाएं अकेली रह गई हैं। इनकी देखभाल करनेवाला कोई नहीं है। इस पूरे मामले में सत्ता से जुड़े कुछ क्षेत्रीय नेताओं और जनजातीय कार्य विभाग के अधिकारियों का नाम सामने आ रहा हैं, जिन्होंने अपनी व्यक्तिगत स्वार्थ पूर्ति के लिए मासूम बालिकाओं को अकेले छोड़ दिया। बताया जाता है कि केवल यही छात्रावास एेसा नहीं है बल्कि बिजोरी का छात्रावास में सभी का तबादला किया गया है।
अधिकारियों की एेसी मनमानी से मुख्यमंत्री कमलनाथ की छवि पर भी असर पड़ रहा है। वार्षिक परीक्षा के समय यह किया गया है।

माध्यमिक शाला भी बंद होने की कगार पर
माध्यमिक शाला छिंदी भी बंद होने की कगार पर है। १२८ बच्चों के बीच एक ही शिक्षक था। उसका भी तबादला कर दिया गया। इससे बच्चों का भविष्य अंधकारमय कर दिया गया है।

आखिर किसकी सिफारिश पर तबादले

जनजातीय कार्य विभाग में हाल ही में पूरे जिले से २५ से अधिक छात्रावास अधीक्षकों और शिक्षकों के तबादले किए गए। ये स्थानांतरण सहायक आयुक्त की दस्तखत से हुए। जनजातीय कार्य विभाग में किसी से पूछो तो सीधे तौर पर क्षेत्रीय जनप्रतिनिधि या विधायक की सिफारिश की ओर इशारा कर देते हैं। ये तबादले वार्षिक परीक्षा के बाद भी किए जा सकते थे, लेकिन ऐन वक्त पर होने से व्यक्तिगत स्वार्थ की बू आ रही है। इससे बच्चों का साल बर्बाद होने की कगार पर है।

इनका कहना है
छिंदी आदिवासी आश्रम में छात्रावास अधीक्षिका न होने की जानकारी दी है तो हम इस पर जल्द दूसरे शिक्षक की पदस्थापना करेंगे। इसके साथ अन्य स्कूल-आश्रमों की भी समीक्षा करेंगे।
एनएस बरकड़े,सहायक आयुक्त,जनजातीय कार्य विभाग।

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