तीन साल बाद भी तानसी खदान को नहीं मिली एनओसी
कोयलांचल की मोआरी खदान बंद कर दी गई है। कन्हान क्षेत्र की अंतिम इकाई तानसी खदान पर तलवार लटक रही है। 2023 की शुरुआत में ही कन्हान क्षेत्र को पेंच में मर्ज होने की बात उठी थी। हालांकि शारदा खदान शुरू होने के कारण कन्हान बच गया। अब तानसी खदान पर वन विभाग की एनओसी का पेंच फंस रहा है।
Tansi mine did not get NOC even after three years
छिंदवाड़ा/दमुआ. कोयलांचल की मोआरी खदान बंद कर दी गई है। कन्हान क्षेत्र की अंतिम इकाई तानसी खदान पर तलवार लटक रही है। २०२३ की शुरुआत में ही कन्हान क्षेत्र को पेंच में मर्ज होने की बात उठी थी। हालांकि शारदा खदान शुरू होने के कारण कन्हान बच गया। अब तानसी खदान पर वन विभाग की एनओसी का पेंच फंस रहा है। तानसी खदान से 30 लाख टन कोयला मिलेगा। यह खदान 10 वर्षों तक चल सकती है। क्षेत्र के सरफेस फोरेस्ट क्लीरियन्स के लिए प्रबंधन ने जनवरी 2020 में आवेदन दिया था। प्रक्रिया के तहत डीएफओ, सीसीएफ और वन मंत्रालय भोपाल से फाइल दिल्ली भेजी जाती है, लेकिन भोपाल से फाइल दो माह पहले ही दिल्ली गई है। दिल्ली से वन विभाग की एनओसी नहीं मिलने के कारण तानसी खदान पर तलवार लटकी हुई है। वन मंत्रालय भोपाल व दिल्ली से खदानों के लिए वन विभाग की एनओसी में देरी कीजाती है। कन्हान क्षेत्र की दो प्रस्तावित खदानों के लिए वर्ष 2015 में त था भारत ओसी फेस 3 के लिए वर्ष 2017 में आवेदन किया गया था। पांच से सात साल बीत जाने के बाद भी आज तक अनुमति नहीं मिली है। तानसी में वर्तमान में 685 कामगार हैं। तीन शिफ्ट में मात्र 150 टन कोयला निकाला जा रहा है। वन विभाग की एनओसी न होने की स्थिति में तांसी को वैकल्पिक व्यवस्था के तहत चार माह चलाया जा सकता है। इसके लिए प्रबंधन की ओर से प्रयास किए जा रहे हैं। इस संबंध में भाजपा के जिला अध्यक्ष विवेक बंटी साहू का कहना है कि जिले के सांसद नकुलनाथ व क्षेत्रीय विधायक सुनील उइके ने कभी प्रयास नहीं किए। उन्हें संसद व विधानसभा में सवाल उठाना चाहिए। वहीं पेंच व कन्हान क्षेत्र के भारतीय मजदूर संघ के अध्यक्ष राम सिंह बघेल का कहना है कि संगठन प्रयासरत है कि शीघ्र वन मंत्रालय दिल्ली से तानसी के लिए वन विभाग की एनओसी मिल जाए, इसके लिए नेता मंत्रियों से भी बात कर रहे हैं।
Hindi News/ Chhindwara / तीन साल बाद भी तानसी खदान को नहीं मिली एनओसी