इसमें गरीब निसंतान दम्पतियों समेत गंभीर स्त्री रोगों की जांच एवं उपचार निशुल्क किया जाता है तथा चिन्हित हितग्राहियों को उपचार के लिए उच्चस्तरीय चिकित्सा संस्थाओं में भेजा जाता है, जिसमें होने वाले व्यय का वहन शासन करता है। कार्यक्रम के नोडल अधिकारी डॉ. दिलीप मेहरा ने बताया कि पूर्व में उक्त बीमारी से चिन्हित मरीजों के उपचार राज्य बीमारी सहायता निधि के माध्यम से कराए जाते थे।
इसे शासन ने आयुष्मान भारत योजना में मर्ज कर दिया है, जिसके कारण राज्य बीमारी अंतर्गत अंतर्गत आने वाली समस्त बीमारियों का उपचार आयुष्मान योजना के तहत किया जाता है। डॉ. मेहरा ने बताया कि योजना के तहत निसंतान रोगियों के उपचार के लिए कोई हॉस्पिटल चिन्हित नहीं किया, जिसकी वजह से हितग्राहियों को पिछले कई दिनों से राहत नहीं मिल पा रही है।
जिले में चार प्रकरण अब तक लंबित – रोशनी क्लीनिक में निसंतानता का उपचार के लिए जिले से चार प्रकरण अब तक लंबित है। इस संदर्भ में विभाग ने कई बार भोपाल स्तर पर अधिकारियों से चर्चा की, लेकिन अब तक कोई निराकरण या सुझाव नहीं मिला है। इधर हितग्राहियों को उपचार नहीं मिलने से शासकीय योजनाओं पर आक्रोश उत्पन्न होने लगा है।