आधा दर्जन से ज्यादा लोगों को जिंदा जलाया, मासूमों की चीख सुनकर हिल गया पूरा जिला
घर बंद कर लगाई थी आग, मासूम सहित सात लोगों को जिंदा जला दिया

चित्रकूट. पाठा के बीहड़ों में दहशत का साम्राज्य, मौत का खूनी खेल खेलने वाले खूंखार डकैतों के कहर की निशानियां आज भी बीहड़ों में बसे गांवों की फिजाओं में जिंदा हैं। दस्यु गिरोहों की हैवानियत को इन इलाकों की हवाएं चीख चीख कर बयां करती हैं। आज भी पाठा का बीहड़ खूंखार बबुली कोल लवलेश कोल राजा यादव जैसे डकैतों की चहलकदमी से सहमा हुआ है। अपने दुश्मनों तथा गैंग के ख़िलाफ़ मुखबिरी के शक में न जाने कितनों की बलि चढ़ा दी कुख्यात दस्यु ददुआ ठोकिया रागिया बलखड़िया बबुली लवलेश ललित पटेल और गोप्पा जैसे खूंखार डकैतों ने। इन दस्यु सरगनाओं की खेली गई खून की होली आज भी गांवों में दहशत का ज़हर घोल देती है। हालांकि कई बड़े नामी इनामी बीहड़ के शैतान अपने अंजाम तक पहुंच गए फिर भी उनके तांडव की दास्तां आज बीहड़ में एक इतिहास बन गई है। जिंदा जलते लोगों की चीखों पर हैवानियत भरी हंसी इन डकैतों की फितरत थी।
मासूम सहित सात लोगों को जिंदा जला दिया था दस्यु ठोकिया ने
ख़ाकी किलर के नाम से बीहड़ों में दहशत की बादशाहत कायम करने वाले खूंखार पांच लाख के इनामी डकैत ने अपने जानी दुश्मन ओम नाथ पटेल के परिवार को इस बेरहमी से मौत की नींद सुलाई की देखने सुनने वालों की रूहें कांप गई और खुद मौत भी सहम गई। 17 जुलाई 2003 को सुबह लगभग 7 बजे दस्यु ठोकिया अपनी गैंग के साथ गांव में आ धमका। गैंग की आहट से पूरे गांव में ख़ौफ भरा सन्नाटा छा गया। ठोकिया के साथ दस्यु शंकर केवट गुड्डा पटेल और चुन्नी पटेल जैसे खास साथियों के अलावा दो दर्जन अन्य डकैत भी थे।
घर बंद कर लगाई आग
ओमनाथ के परिवार को टार्गेट करते हुए दस्यु ठोकिया ने घर के दरवाजों को बाहर से बंद कर डीजल छिड़कते हुए आग लगा दी। रूह कंपा देने वाली इस वारदात में घर में मौजूद दो मासूमों सहित सात लोगों की जिंदा जलकर खौफनाक मौत हो गई। जबकि तीन ग्रामीणों को गोलियों से छलनी कर दिया गया। जलते लोगों की चीखें सन्नाटे को चीर रही थीं तो डकैतों की हैवानियत भरी हंसी उस मंजर को और खौफनाक बना रही थी। घरों के अंदर कैद ग्रामीण अपनी कांपती रूहों से ये सारा मंजर झरोखों से देख रहे थे लेकिन मौत के सौदागरों के सामने किसी की हिम्मत आह तक करने की नहीं हुई। इस मामले की एफआईआर कराने वाले राजू पटेल ने उस खौफ़नाक मंजर को याद करते हुए बताया कि आज भी उस दिन को याद कर रोंगटे खड़े हो जाते हैं। वे कैमरे के सामने से इंकार करते हुए कहते हैं कि डकैतों ने उनका परिवार तबाह कर दिया अब क्या बचा है।
डकैतों का प्रतिशोध था नरसंहार
इस जघन्य वारदात को अंजाम देने के पीछे दस्यु ठोकिया जे प्रतिशोध की बात भी सामने आई। गांव के ओमनाथ से ठोकिया की पुरानी दुश्मनी थी। कहा जाता है कि ठोकिया की बहन के साथ कुछ लोगों ने गलत हरकत की थी जिसके बचाव में ओमनाथ खुलकर सामने आया था। बहन की बेइज्जती का बदला लेने के लिए कभी झोलाछाप डॉक्टर के यहां कंपाउंडर की नौकरी करने वाला ठोकिया बीहड़ में कूद पड़ा और बन गया मौत व खौफ का दूसरा नाम। किस्मत का धनी ओमनाथ आज भी जिंदा है जबकि ठोकिया ने उसके ऊपर कई बार हमला करवाया। जिस दिन ठोकिया ने गांव में धावा बोला तो उस समय गैंग के टार्गेट पर ओमनाथ ही था लेकिन उस दौरान उसकी किस्मत ने उसे बचा लिया।
मामले में 9 अभियुक्तों को हुई फांसी की सजा
इस जघन्य और क्रूरतम वारदात की सुनवाई 13 वर्षों तक चली। पिछले वर्ष(2016) 26 फ़रवरी को अपर सत्र न्यायाधीश की अदालत में दोषी पाए जाने पर 9 अभियुक्तों को फांसी की सजा सुनाई गई जबकि दो अभियुक्तों को आजीवन कारावास की सजा का फैंसला सुनाया गया। दस्यु सरगना ठोकिया शंकर केवट गुड्डा पटेल चुन्नी पटेल पुलिस मुठभेड़ में ढेर कर दीए गए। ठोकिया को एसटीएफ ने 4 अगस्त 2008 को मार गिराया था।
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