scriptमरीजों की जिंदगी पर भारी पड़ रहे झोलाछाप | Roadside doctors causing problems to patients | Patrika News
चित्रकूट

मरीजों की जिंदगी पर भारी पड़ रहे झोलाछाप

कार्यवाही के नाम पर होती है रस्म अदायगी।
 

चित्रकूटJan 21, 2018 / 04:54 pm

Ashish Pandey

Roadside doctors

Roadside doctors

चित्रकूट. सरकारी अस्पतालों में समुचित सुविधाएं न मिलने और चिकित्सकों की कर्तव्य उदासीनता के चलते मरीज झोलाछाप डॉक्टरों की चौखटों पर दस्तक देने को मजबूर होते हैं और ये यमदूत प्रायोगिक तौर पर उल्टी सीधी दवाओं का इस्तेमाल मरीजों पर करते हैं जिससे उनकी जिंदगी खतरे में पड़ जाती है। अभी दो दिन पहले ही मुख्यालय के शिवरामपुर कस्बे में एक झोलाछाप मेडिकल स्टोर संचालक से ली गई दवाई के बाद एक चार वर्षीय मासूम की मौत हो गई। मृतक के पिता ने मेडिकल स्टोर संचालक पर गलत दवा देने का आरोप लगाया। घटना के बाद उक्त मेडिकल स्टोर संचालक फरार हो गया।
सीएमओ बोले- की जा रही है कार्रवाई
जब कभी कोई अनहोनी हो जाती है, तो आनन फानन में संबंधित के खिलाफ कार्यवाही की खनापूर्ती कर प्रशासन अपनी जि़म्मेदारी की इतिश्री कर देता है। लोगों की जान के दुश्मन बने इन यमराजों पर ठोस कार्रवाई न होने से इनकी तरक्की दिन दुनी रात चौगुनी की राह पर अग्रसर है। फिलहाल इस मामले पर चिर निद्रा में सोए स्वास्थ्य विभाग ने थोड़ी अंगड़ाई लेते हुए झोलाछापों पर कार्यवाही की जुर्रत की है। सीएमओ ने कहा कि झोलाछापों पर कार्रवाई की जा रही है। चार लोगों के खिलाफ प्राथमिकी भी दर्ज कराई गई है।
चिकित्सकों की तैनाती मानक से काफी कम है

एक तो सरकारी स्वास्थ्य सेवाओं की तस्वीर किस तरह धुंधली है ये सबकी नजरों के सामने है। जिला अस्पताल से लेकर प्राथमिक और सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्रों में इलाज के नाम पर कितनी सुविधा सजगता बरती जाती है यह भी आए दिन लोगों के सामने प्रस्तुत होता रहता है। दूसरी तरफ सभी को सरकारी चिकित्सक उपलब्ध नहीं हो पाते क्योंकि चिकित्सकों की तैनाती मानक से काफी कम है। गांव गांव प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र तो खुल गए हैं लेकिन उनमें चिकित्सक नहीं हैं। सरकारें आती जाती रही हैं लेकिन स्वास्थ्य व्यवस्थाएं अभी भी लडख़ड़ाते हुए पहियों पर हो रेंग रही हैं. चिकित्सकों की संख्या में कोई बढ़ोत्तरी नहीं हो रही बल्कि इनकी संख्या और भी घट गई है. इन सारी अव्यवस्थाओं का फायदा उठाते हैं झोलाछाप जो मरीजों की जिंदगियों को खेल समझते हुए उनके जीवन को दांव पर लगा देते हैं। जब किसी की मौत हो जाती है तो यह झोलाछाप सुर्खियों में आते हैं और कार्रवाई के नाम पर आश्वासनों की घुट्टी जिम्मेदारों द्वारा पिला दी जाती है।
झोलाछाप की दवा से गई मासूम की जान!

दो दिन पहले मुख्यालय के शिवरामपुर कस्बे में एक बच्चे की मौत हो गई थी। तब एक ऐसे ही झोलाछाप का कारनामा सामने आया था। मृतक बच्चे के पिता ने इलाके के ही एक मेडिकल स्टोर संचालक पर गलत दवा देने का आरोप लगाया है और बताया कि दवा खाने के बाद ही उसके बच्चे की हालत ज्यादा बिगड़ गई और कुछ देर बाद उसकी मौत हो गई। घटना के बाद मेडिकल स्टोर संचालक भाग निकला। मृतक के पिता की तहरीर पर संबधित के खिलाफ मामला दर्ज कर प्रशासन ने मेडिकल स्टोर को सील करा दिया गया था।
समय-समय पर होती है कार्यवाही

सीएमओ रामजी पाण्डेय का कहना है कि झोलाछाप डॉक्टरों के खिलाफ समय-समय पर अभियान चलाया जाता है। अभी फि़लहाल कार्यवाही के तौर पर ऐसे चार लोगों के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज कराई गई है। जनपद में लगभग एक सैकड़ा झोलाछाप चिन्हित किए गए हैं। वहीं इस मामले में ड्रग इंस्पेक्टर रेखा सचान का कहना है कि कोई भी मेडिकल स्टोर बिना पंजीकरण के संचालित नहीं हो सकता। खाद्य एवं औषधि प्रशासन कार्यालय में कागजी कार्यवाही करते हुए लाइसेंस लेकर ही मेडिकल स्टोर खोला जा सकता है। यदि कहीं पर बिना पंजीयन के मेडिकल स्टोर संचालन की सूचना मिलती है तो उस पर त्वरित कार्यवाही की जाती है।

Home / Chitrakoot / मरीजों की जिंदगी पर भारी पड़ रहे झोलाछाप

loksabha entry point

ट्रेंडिंग वीडियो