मौत के कारण पूरा गांव शोक में डूबा हुआ था। दो दिनों से चूल्हे नहीं जले। लोग परिजनों को ढ़ांढ़स बंधा रहे हैं। इस मामले में रावणा राजपूत समाज के अनेक गांवो से आए प्रतिनिधियों, सरपंच सविता राठी, पुलिस व प्रशासन की सुबह 9 से अपराह्न तीन बजे तक वार्ताओं के दौर चले। इसमें सहमति नहीं बनने पोस्टमार्टम नहीं हो पाया। शाम को खान मालिक व खान विभाग के खिलाफ मामला दर्ज कर लिया गया। वार्ता में एसडीएम रतनकुमार स्वामी, एएसपी सीताराम माहिच, डीएसपी नरेन्द्रकुमार शर्मा, थानाधिकारी मुश्ताकखां, तहसीलदार अमरसिंह मौजूद रहा।
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प्रशासन-खान विभाग पर आरोप: अस्पताल में सरपंच सविता राठी ने एसडीएम, एएसपी, डीएसपी को कहा कि आबादी भूमि के 50 मीटर दूरी पर हो रहे खनन को बंद कराने व नियमों के विपरीत खनन कार्य को बंद करवाने की कई बार शिकायत की जा चुकी है। खनन विभाग की हठधर्मिता से ये कार्य चल रहा है। जिसका नतीजा यह गहरे गढ्डे है। जिनमें यह बड़ा हादासा हुआ हैं। इसलिए खान मालिक के साथ खान विभाग के जिम्मेदार अधिकारियों के खिलाफ एफआईआर की जाए। इसके बाद एएसपी के निर्देश पर खान विभाग के खिलाफ मामला दर्ज किया गया। हरिसिंह पुत्र भैरूसिंह ने दर्ज कराई है। पुलिस के अनुसार परिवादी ने खनन् विभाग पर लापरवाही व मिली भगत से बिना सुरक्षा उपायों के चलाने का आरोप लगाया है। परिवादी के अनुसार हादसे के लिए खान मालिक व खान अधिकारी जिम्मेदार है। इसलिए मामला धारा 304 में दर्ज हुआ है।
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पोस्टमार्टम को लेकर तकरार
अस्पताल में सैकड़ो लोगो की भीड़ जुट गई। जिनमें रावणा राजपूत समाज के लोग लाडनूं, बीदासर, चूरू क्षेत्रो के शामिल थे। इनमें जिलाध्यक्ष केसरसिंह, बीदासर नगरपालिका उपाध्यक्ष जवाहरसिंह, समाज के बीदासर अध्यक्ष कालूसिंह, लाडनूं अध्यक्ष भंवरसिंह भाटी, जिला सचिव महेन्द्रसिंह, नगर अध्यक्ष प्रकाश सिंह, लाडनूं संगठन मंत्री विनोदसिंह, लेड़ी के मदनसिंह, डूंगर पहाड़ी के लक्ष्मणसिंह आदि है। अस्पताल में दो-तीन बार ऐसी स्थिति बनी की पदाधिकारी व कार्यकर्ता आपस में ही पोस्टमार्टम की बात को लेकर उलझते रहे। कई बार सरपंच व कार्यकर्ता के बीच तकरार भी हुई।