जरूरत सब कुछ सिखा देता है, कभी घर की दहलीज पार नहीं की मगर, घर चलाने की जरूरत पड़ी तो उसे लांघ कर बाहर निकलना पड़ा, ये कहना है कलेक्ट्रेट परिसर में कैंटीन चला रही गांव गाजसर निवासी पूनम का।
चुरू•Sep 18, 2021 / 03:50 pm•
Madhusudan Sharma
2 साल से कैंटीन से चला रही अपना घर
चूरू. जरूरत सब कुछ सिखा देता है, कभी घर की दहलीज पार नहीं की मगर, घर चलाने की जरूरत पड़ी तो उसे लांघ कर बाहर निकलना पड़ा, ये कहना है कलेक्ट्रेट परिसर में कैंटीन चला रही गांव गाजसर निवासी पूनम का। उन्होंने बताया कि पढ़ी लिखी थी तो 2013 में राजीविका मिशन से जुड़ी। इसके बाद 2019 में कलेक्ट्रेट परिसर में बनी कैंटीन शुरू से अब यह तीन महिलाएं सुबह 9:00 से शाम 6:00 बजे तक कैंटीन में मेहनत करते हैं। केंटीन में ड्यूटी दे रही गांव कोटवाद निवासी नेहा कहती है कि आज के समय में महिलाओं के लिए सबसे बढिया हथियार है शिक्षा, इसके जरिए वे अपने जीवन में आई कठिनाइयों से लड़ सकते हैं। केंटिंग में चाय बना रही इंदिरा कंवर ने बताया कि रोजाना ढाई से तीन हजार की बिक्री होती है। और हम तीनों ही घर बहुत अच्छे से चलता है।
ऐसे कर रही संचालन
पूनम ने बताया कि हम केंटीन में स्नैक्स, लंच, ब्रेकफास्ट के अलावा कोल्ड ड्रिंक, चाय, दूध व कॉपी सर्व करते हैं। उन्होंने बताया कि यहां काम करने के अलावा घर भी संभाल रहे हैं। बच्चों की पढाई का पूरा ध्यान रखती हैं। उन्होंने बताया कि बाजार से खरीददारी का अनुभव हो गया तो अब सामान किफायती दरों पर खरीदती हैं। एकाउंट का सारा काम तीनों मिलकर देखती हैं।