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कोयंबटूर

मंदी का कारण कृषि क्षेत्र की उपेक्षा

तमिलनाडु टोडी मूवमेंट के समन्वयक और तमिलनाडु किसान संघ के सचिव नल्लास्वामी का मानना है कि देश में अर्थव्यवस्था के धीमे होने का कारण कृषि क्षेत्र की उपेक्षा भी है।

कोयंबटूरSep 15, 2019 / 04:56 pm

Dilip

मंदी का कारण कृषि क्षेत्र की उपेक्षा

मंदी का कारण कृषि क्षेत्र की उपेक्षा

कोयम्बत्तूर. ( Tamil Nadu ) तमिलनाडु टोडी मूवमेंट के समन्वयक और तमिलनाडु kisan sangh किसान संघ के सचिव नल्लास्वामी का मानना है कि देश में अर्थव्यवस्था के धीमे होने का कारण कृषि क्षेत्र की उपेक्षा भी है। नल्लास्वामी शनिवार को यहां पत्रकारों से बातचीत कर रहे थे। उन्होंने कहा कि वर्ष 1947 में जब देश आजाद हुआ तो देश की विकास दर में कृषि क्षेत्र का योगदान 6 5 फीसदी था।आज यह घट कर मात्र १५ प्रतिशत रह गया है। इसकी वजह खेती बाड़ी व किसानों के लिए बजट में लगतार कटौती करना है।आज भी देश की करीब साठ फीसदी आबादी खेती पर निर्भर है, लेकिन कृषि क्षेत्र को बजट में 2.5 प्रतिशत हिस्सा मिला है।
किसान संघ के सचिव ने कहा कि कृषि प्रधान देश होने के बाद भी 70 फीसदी खाद्य तेल और साठ प्रतिशत दालें हम दूसरे देशों से मंगा रहे हैं। इससे विदेशी मुद्रा भंडार तो प्रभावित हो ही रहा है। हम अप्रत्यक्ष रुप से खेती की उपेक्षा कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि यदि कृषि को औद्योगिक क्षेत्र के बराबर प्राथमिकता दी जाती तो आज हम विकसित देशों में शुमार होते।
उन्होंने आरोप लगाया कि विकसित देशों में जो उद्योग वहां के हवा , पानी व पर्यावरण को दूषित कर रहे थे। वे भारत आ गए और यहां की सरकारों ने लाल कालीन बिछा कर उनका स्वागत किया।वे अब यहां प्रदूषण फैला रहे है।
तिरुपुर tiripur में गॉरमेंट फैक्ट्रियों के कैमिकल के कारण नॉयल नदी का पानी अब खेती बाड़ी के कामका भी नहीं रहा।इस बार मानसून अच्छा रहा और पानी को सहेजने का प्रबंध नहीं होने के कारण पिछले आठ दिनों में कावेरी नदी का लगभग 25 टीएमसी पानी समुद्र में चला गया। यदि पानी को सहेजने और वितरण का इंतजाम किया जाता तो उसका उपयोग हो सकता था। नल्लास्वामी ने कहा कि ताड़ी का दोहन और खपत संवैधानिक अधिकार है। किसान अगले साल 21 जनवरी से पूरे तमिलनाडु में
विरोध प्रदर्शन करेंगे, जिसमें टोडी का दोहन कर उसे बेचा जाएगा। उन्होंने कहा कि छोटे और सीमांत किसानों को लोक सेवकों और शिक्षकों के बराबर पेंशन दी जानी चाहिए।

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