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पर्युषण पर्व का सार है क्षमापना

जैनाचार्य विजय रत्न सेन सूरीश्वर ने कहा है कि क्षमापना पर्युषण पर्व का सार है । भूल कर भी कषायों का विश्वास नहीं करना ।कसाई तो एक ही जीवन का अंत करता है।

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पर्युषण पर्व का सार है क्षमापना

पर्युषण पर्व का सार है क्षमापना

कोयम्बत्तूर. जैनाचार्य विजय रत्न सेन सूरीश्वर ने कहा है कि क्षमापना पर्युषण पर्व का सार है । भूल कर भी कषायों का विश्वास नहीं करना । कसाई तो एक ही जीवन का अंत करता है। पर कषाय तो अनेक जीवन का अंत लाने वाले हैं।कषाय आत्मा के भावप्राणों का नाश कर देते हैं।
आचार्य शनिवार को Coimabtore rajasthani sangh bhawan राजस्थानी संघ भवन में प्रवचन कर रहे थे। उन्होंने कहा कि नदी के नीर का कभी विश्वास नहीं करना क्योंकि पानी का वेग कभी भी बढ़ सकता है। छोटी से चिंगारी से सावधान रहना। वह दावानल का रूप ले सकती है।शरीर के छोटे घाव की उपेक्षा नहीं करना , वह नासूर हो कर मौत का कारण बन सकता है।
आचार्य ने कहा कि किसी से कर्ज लिया हो तो अवसर मिलते ही उससे मुक्त होने का प्रयत्न करना। अन्यथा वह कभी भी मूलधन से कई गुना अधिक हो जाएगा।इसी प्रकार क्रोध आदि कषायों का भूल कर भी विश्वास नहीं करना। क्रोध की चिंगारी को समता ,क्षमा के जल से शीघ्र शांत नहीं किया तो यह बड़ा रूप लेकर आत्मा की चिर समाधि को क्षण में भस्म कर सकती है।
उन्होंने विषधर चण्डकोशिक का दृष्टांत बताते हुए कहा कि चण्डकोशिक पूर्व में मास क्षमण के पराणे ,मासक्षमण की तपश्चर्या करने वाले महान तपस्वी थे। एक बालमुनि पर किए गए क्रोध के कारण वे पतन के गर्त में डूब गए और साधु से भयंकर सर्प बन गए।
आचार्य ने कहा कि विज्ञान के इस युग में व्यक्ति सामान्य पानी को बर्फ बनाने में सक्षम है। कमरे को वातानुकूलित बना सकता है। पर आश्चर्य है कि वह अपने क्रोध से गर्म हुए दिमाग को ठंड़ा नहीं कर पाता। वैज्ञानिकों का कहना है कि तीव्र प्रदूषण के कारण ओजोन में छेद हो गए हैं।इस कारण सूरज की गर्मी बढ़ गई है।सूरज की गर्मी के साथ ही आज मानव के दिमाग का तापमान भी कुछ बढ़ गया है।तभी तो आज मामूली विवाद में भी लोग आवेश में आ कर कुछ का कुछ कर डालते हैं।
उन्होंने कहा कि आज देश में हत्या-आत्महत्याओं का जो सिलसिला चल पड़ा है। इसके मूल में मानव का आक्रोश, आवेश वृत्ति ही देखने को मिलती है।आज छोटी-छोटी बातों से परेशान लोग आत्महत्या तक का कठोर कदम उठा लेते हैं।
एक सितम्बर को सुबह आठ बजे अठ्ठाई व अठ्ठाई से अधिक के सभी तपस्वियों का सामूहिक पच्चखाण होगा। सभी तपस्वी बहुफणा पाश्र्वनाथ जिनालय से गाजे -बाजे के साथ राजस्थानी संघ आएंगे। यहां आचार्य द्वारा पच्चखाण दिए जाएंगे।