scriptकैसे नन्ही बालिका कृष्णप्रिया जी बनी सनातन धर्म की सबसे बड़ी प्रचारक और युवाओ के लिए प्रेरणा | Krishnapriya Ji Became Biggest Preacher Of Sanatan Dharma And An Inspiration For Youth | Patrika News
कोयंबटूर

कैसे नन्ही बालिका कृष्णप्रिया जी बनी सनातन धर्म की सबसे बड़ी प्रचारक और युवाओ के लिए प्रेरणा

सनातन धर्म के प्रचारक और युवाओं के प्रेरणाश्रोत कृष्णप्रिया देवी जी 360 से भी अधिक भागवत कथा रूपी ज्ञानयज्ञ सफलतापूर्वक कर चुकी है और विदेशों में भी जैसे लंदन, सिंगापुर, थाईलैंड,कनाडा, सिडनी इत्यादि में भारतीय संस्कृति का ज्ञान परचम लहरा चुकी हैं।

कोयंबटूरJul 19, 2021 / 04:30 pm

मसूद आलम

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Krishnapriya Ji (Preacher, Sanatan Dharma)

परमपूज्या कृष्णप्रिया जी भारत की प्रसिद्ध कथा वाचिका, मोटिवेशनल स्पीकर एवं युवा समाजसेवी हैं। वह अपने आध्यात्मिक एवं वैज्ञानिक तथ्यों के समावेश पर आधारित प्रवचनों के लिए विख्यात हैं। कृष्णप्रिया का जन्म 26 जनवरी, 1997 में वृन्दावन, उत्तरप्रदेश में एक सनाढ्य ब्राह्मण परिवार में हुआ है। उनकी माता अत्यंत भक्ति भाव वाली थीं। वह सदैव पूजा भक्ति एवं धार्मिक कार्यों में संलग्न रहती थी इसीलिए देवी जी के जीवन में भी भगवत भक्ति एवं सद्गुण बाल्यावस्था से ही मौजूद रहे।

मात्र 4 वर्ष की अल्प आयु से ही देवी जी घंटों भक्ति साधना में लीन रहती थीं। इसके साथ-साथ देवी जी ने अपनी पढ़ाई भी सुचारू रखी। लेकिन वे अधिकतर समय भक्ति साधना में ही व्यतीत करती थीं। कृष्णप्रिया जी सदैव माँ के साथ वृंदावन के श्री बांके बिहारी जी के मंदिर जाती थीं और वहाँ अपनी मधुर वाणी में बिहारी जी के समक्ष मीठे मीठे भजनों का गायन करती थीं।

बाल्यकाल से ही देवी जी को संतों का ज्ञान एवं स्नेह प्रेम मिला। देवी जी ने भक्ति मार्ग को सही एवं निरंतर दिशा देने के लिए केवल 5 वर्ष की आयु में वृंदावन के एक मूर्धन्य संत श्री रूप किशोर दास जी महाराज से संत दीक्षा प्राप्त की। एक बार महोली गांव (मथुरा) के ध्रुव टीले पर राधे नाम गुणगान करते हुए जब नन्ही देवी जी भ्रमण कर रही थी तो उन्हें युगल जोड़ी श्री राधा-कृष्ण के अलौकिक दर्शन प्राप्त हुए। इस घटना के पश्चात उन्होंने अपना पूरा जीवन श्री भगवत नाम एवं परोपकार के लिए समर्पित कर दिया।

एक संत के मार्गदर्शन से उन्होंने सन 2004 में मात्र 7 वर्ष की आयु में उज्जैन के सिंघस्थ कुंभ मेले से भागवत कथा वाचन का शुभारंभ किया। अनेकानेक दिव्य संतो ने उनकी वाणी और कथा शैली की प्रशंसा करते हुए सनातन धर्म एवं संस्कृति का पताका पूरे विश्व में फहराने का आशीर्वाद दिया। देवीजी भागवत कथा के साथ साथ श्रीराम कथा, नानी बाई रो मायरो, श्री शिवमहापुराण, भक्तमाल की कथा एवं अन्य धार्मिक कथाओं का वाचन भी करतीं हैं।

आज देवी जी 360 से भी अधिक भागवत कथा रूपी ज्ञानयज्ञ सफलतापूर्वक कर चुकी है और विदेशों में भी जैसे लंदन, सिंगापुर, थाईलैंड,कनाडा, सिडनी इत्यादि में भारतीय संस्कृति का ज्ञान परचम लहरा चुकी हैं। आज 23 वर्ष की आयु में देश विदेश में देवी जी के लाखों अनुयायी हैं जो उनसे से गुरु दीक्षा प्राप्त कर स्वयम् को प्रभु की ओर अग्रसर कर रहे हैं। श्री कृष्णप्रिया जी एक आध्यात्मिक गुरु के साथ-साथ एक समाज सेवी भी है एवं जनकल्याण हेतु अनेकानेक सेवा प्रकल्प से समाज मे अपना बहुमूल्य योगदान देतीं हैं।

आज भारत में व्याप्त बुराइयाँ जैसे गौहत्या, पर्यावरण हास्य, बेघर अनाथ एवम अशिक्षित बच्चे, बेसहारा वृद्धजन, दहेज प्रथा इत्यादि का समाधान हेतु एक ट्रस्ट का गठन किया। देवी जी ने अपने लड्डू गोपाल के नाम पर ही 2013 में श्री चैन बिहारी सेवा ट्रस्ट की स्थापना की जिसे आगे चल कर चैन बिहारी आश्रय फाउंडेशन का नाम दिया गया। जो कि सेवार्थ कार्य में सदैव तत्पर रहता है। यह ट्रस्ट महावन,मथुरा उत्तर प्रदेश में स्थित है। ट्रस्ट के द्वारा किए जाने वाले कार्यों में प्रमुख कार्य हैं-:

● आप श्री के द्वारा वर्तमान में 100 से अधिक गौ माताओं की चिकित्सा एवं देखभाल की जा रही है इसके साथ ही एक वृहद गौशाला का निर्माण कराया जा रहा है जिसमें 1000 से अधिक लाचार व बेसहारा गौमाताओं का भरन-पोषण किया जाएगा।
● पूज्या श्री द्वारा रूरल ट्राइबल आदिवासी क्षेत्रों में शिक्षा व्यवस्था, मेडिकल कैंप और भोजन से वंचित लोगों को भोजन सामग्री उपलब्ध कराई जाती है।

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