1. हेनरिक्स क्लासेन की बेहतरीन बल्लेबाजी –
दक्षिण अफ्रीका की ओर से विकेटकीपर बल्लेबाज हेनरिक्स क्लासेन तब बल्लेबाजी करने आए जब टीम का स्कोर 38 रन पर दो विकेट था। यहां मैच भारतीय गिरफ्त आता दिख रहा था। लेकिन हेनरिक्स ने क्रीज पर कदम रखते ही जिस तेजी से साथ बल्लेबाजी की वो भारत को जीत से दूर करता गया। बारिश की आशंका के बीच हेनरिक्स इस रनगति से बल्लेबाजी कर रहे थे कि किसी भी ओवर में डकवर्थ लुइस नियम लगा होता तो भी जीत मेजबान की ही होती।
2. डुमिनी की कप्तानी पारी –
मेजबान टीम को पहला झटका मात्र 24 के स्कोर पर लगा था। जिसके बाद बल्लेबाजी करने के लिए कप्तान जेपी डुमिनी मैदान में आए। डुमिनी ने मैच में काफी संयमित पारी खेली। क्लासेन दूसरी छोड़ से लगातार चौके-छक्के लगा रहे थे। लेकिन डुमिनी सिंगल-डबल से मैच को आगे बढ़ा रहे थे। क्लासेन के आउट होने के बाद डुमिनी ने टीम को सुरक्षित जीत तक पहुंचा दिया।
3. युजवेंद्र चहल की धारहीन गेंदबाजी-
इस मैच में भारतीय स्पिनर युजवेंद्र चहल की गेंदबाजी में वो धार नहीं दिखी, जिसके लिए वो जाने जाते है। चहल की गेंदों पर क्लासेन ने जमकर रन बटोरे। इस मैच में चहल ने अपने चार ओवर में 64 रन खर्च कर डाला। जबकि उन्हें कोई सफलता भी नहीं मिली। चहल की गेंदों पर लगातार रन बन रहे थे। इसके बावजूद उन्हें गेंदबाजी आक्रमण पर लगाए रखा गया। यह कप्तान कोहली की भी चूक हैं।
4. फिल्डिंग में भी गड़बड़ी –
इस मैच में भारतीय फिल्डिंग में भी काफी कमियां नजर आई। महेंद्र सिंह धोनी ने एक स्टपिंग का मौका गंवाया। जबकि चहल अपनी ही गेंद पर एक कैच छोड़ गए। बेशक ये मौके आसान नहीं थे। लेकिन इन मौकों को भुना कर ही जीत हासिल होती है।
5. भुवी का सही इस्तेमाल नहीं होना –
पिछले टी-20 में 24 रन खर्च कर 5 विकेट हासिल करने वाले भुवनेश्वर कुमार इस मैच में खाली हाथ रहे। भुवी ने दूसरे टी-20 में तीन ओवर की गेंदबाजी की। जिसमें वे 19 रन खर्च करते हुए सबसे किफायदी गेंदबाज बने। लेकिन जिस समय बाकी के गेंदबाज बुरी तरह से मार खा रहे थे, उस समय कप्तान ने उन्हें याद नहीं किया। संभव है वैसे मौके पर भुवी ज्यादा कारगर साबित होते।