ब्रैडमैन ने घोषणा की कि इंग्लैंड के खिलाफ 10 जून से शुरू होने वाला एशेज़ उनके करियर की आखिरी सीरीज होगी। बस फिर क्या था, ब्रैडमैन के संन्यास की घोषणा करते ही दुनिया भर के क्रिकेट फैंस पागल हो गए। हर कोई ब्रैडमैन को एक आखिरी बार खेलते देखना चाहता था। इन फैंस में एक नाम महात्मा गांधी के छोटे बेटे देवदास गांधी का भी था।
देवदास गांधी ब्रैडमैन के बहुत बड़े फैन थे और वे कम से कम एक बार उन्हें खेलता देखना चाहते थे। उन्होंने ठान लिया कि इस जीवन में वो ये मौका हाथ से नहीं जाने देंगे। इत्तेफाक से गांधी जून के महीने में इंग्लैंड में ही थे। उन दिनों वे पेशे से पत्रकार थे और हिन्दुस्तान टाइम्स के लिए काम कर रहे थे।
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लेकिन इस सीरीज का टिकट मिलना इतना आसान नहीं था। एशेज़ का जिस भी शहर में मैच होता था वहां ब्रैडमैन को एक आखिरी बार खेलते देखने के लिए इतना भीड़ होती थी कि टिकट के दाम आसमान छूने लगते थे। अगर टिकट मिल भी जाये तो मैदानके अंदर जाना आसान नहीं था। देवदास के पास भी इतना पैसा नहीं था कि वो इतनी महंगी टिकट खरीद सकें।
ट्रेंट ब्रिज में मैच था और सभी टिकटें बिक चुकी थी। लेकिन गांधी को फ्लीट स्ट्रीट के ग्रे इमिनेन्सिस से एक पास मिल गया। अब मैच देखने का इंतजाम तो हो गया। लेकिन नॉटिंघम शहर की सड़कों पर मेला लगा हुआ था। ब्रैडमैन को देखने के लिए लोग दुनिया के कोने-कोने से आए थे। ऐसे में होटल या कोई कोई गेस्ट हाउस मिलना नामुमकिन था।
ऐसे में देवदास को एक तरकीब सूझी। वे पत्रकार होने का फायदा उठाकर नॉटिंघम काउंटी जेल चले गए और वहां जाकर वार्डनसे मिले। उन्होंने वार्डन को अपनी बातों में फंसाया और जेल में एक रात गुजारने के लिए उन्हें राजी कर लिया। जेल में रात गुज़ारने के बाद देवदास अगली सुबह उठते ही सीधे ट्रेंट ब्रिज क्रिकेट मैदान की गैलरी में पहुंच गए। मैदान दर्शकों से खचाखच भरा हुआ था। सभी फैंस अपने हीरो को एक आखिरी बार खेलता देखने आए थे।
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ब्रैडमैन ने उस मैच की पहली पारी में 138 रन बनाए थे। अपने करियर की आखिरी सीरीज़ में ब्रैडमैन ने दो शतक और एक अर्धशतक जमाया था। लेकिन अपने करियर की आखिरी पारी में ब्रैडमैन शून्य के स्कोर पर आउट हो गए और उनका टेस्ट ऐवरेज 100 के बेहद क़रीब पहुंचकर भी 100 का नहीं हो पाया।