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मयंक अग्रवाल बोले, मन से नाकामी का डर निकालने के बाद खेल में आया बदलाव

टीम इंडिया का यह बल्लेबाज लगातार अच्छा प्रदर्शन कर रहा है। वह अब तक आठ टेस्ट की 12 पारियों में 858 रन बना चुके हैं।

Nov 15, 2019 / 09:02 pm

Mazkoor

Mayank Agarwal

इंदौर : मयंक अग्रवाल ने अभी तक सिर्फ आठ टेस्ट मैच खेले हैं, लेकिन वह इतने में ही टीम के भरोसेमंद खिलाड़ी बन गए हैं। वह रन मशीन की तरह रन बना रहे हैं। इस दरमियान वह महज 12 पारियों में 858 रन बना चुके हैं। इस दौरान उन्होंने दो दोहरे शतक समेत कुल तीन शतक लगाए हैं। मयंक ने पहले दक्षिण अफ्रीका के खिलाफ दोहरा शतक ठोंका और अब बांग्लादेश के खिलाफ इंदौर में एक बार फिर दोहरा शतक जड़ दिया। बांग्लादेश के खिलाफ दूसरे दिन का खेल खत्म होने के बाद अपने बेहतरीन प्रदर्शन का राज खोलते हुए उन्होंने कहा कि अब उन्होंने अपने करियर में जब विफलता के बारे में उन्होंने सोचना छोड़ दिया, तब जाकर उनका खेल और निखरकर कर सामने आया है। अग्रवाल ने शुक्रवार को 243 रनों की शानदार पारी खेली।

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मन से डर निकालने के बाद रनों की भूख पैदा हो गई

अग्रवाल ने कहा कि यह मानसिकता की बात है। अपने मन से विफलता का डर निकाल देने के बाद उनमें बहुत बड़ा बदलाव आया। उनके भीतर रनों की भूख पैदा हो गई। उन्होंने बताया कि ऐसा भी समय रहा है, जब वह रन नहीं बना पा रहे थे। अब वह जब भी सेट हो जाते हैं तो बड़ा स्कोर करने की कोशिश करते हैं।

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पहला टेस्ट रहा खास

अपने करियर के बारे में बात करते हुए मयंक ने कहा कि उन्होंने निश्चित रूप से अपने सफर का बहुत आनंद लिया। ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ मेलबर्न में उनका पहला पहला टेस्ट मैच बेहद खास था। इस मैच में उन्होंने टीम इंडिया की जीत में योगदान दिया था। भारत पहली बार ऑस्ट्रेलिया में मेजबान टीम के खिलाफ सीरीज जीती थी। इस कारण उन्हें काफी अच्छा महसूस हुआ। उन्होंने कहा कि यही वह भावना है, जो उन्हें और टीम के बाकी खिलाड़ियों को आगे बढ़कर टूर्नामेंट जीतने के लिए प्रेरित करती है। उन्होंने कहा कि वह लंबी योजना नहीं बनाते। एक समय पर एक गेंद खेलने और जब तक संभव हो बल्लेबाजी करने की कोशिश करते हैं।

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