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2016 में रेप के सिर्फ तीन प्रतिशत मामलों का हुआ निपटारा, क्या कानून सख्त करने का होगा फायदा?

एनसीआरबी के आंकड़ों की वास्तविकता को देखते हुए पॉक्सो एक्ट के तहत रेप मामलों में मौत की सजा पर काफी बहस हुई है।

नई दिल्लीApr 22, 2018 / 03:07 pm

Kapil Tiwari

Rape

Minor hit after reaching the CWC board

नई दिल्ली। लगातार रेप की घटनाओं के बीच देश में नया कानून आज से लागू हो गया है। पॉक्सो एक्ट के तहत 12 साल से कम उम्र के नाबालिग के साथ दुष्कर्म करने पर अब फांसी की सजा होगी। केंद्र सरकार के इस अध्यादेश को राष्ट्रपति से भी मंजूरी मिल गई है। इस बीच राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्डस ब्यूरो ने अपने ताजा आंकड़े जारी किए हैं, जिसने बलात्कार की सजा फांसी होने पर एक प्रशन चिन्ह लगा दिया है।
2016 में पॉक्सो एक्ट के सिर्फ 3 प्रतिशत मामलों का हुआ निपटारा
दरअसल, एनसीआरबी के ताजा आंकड़ों के मुताबिक साल 2016 में बलात्कार के 64,138 मामले ऐसे थे जो पॉक्सो एक्ट के तहत कोर्ट में सुनवाई के लिए आए। इन मामलों में आईपीसी की धारा 376 के तहत मुकदमे दर्ज किए गए। हैरान करने वाली बात ये है कि इनमें से सिर्फ तीन प्रतिशत मामलों का ही निपटारा हो सका है। सिर्फ 1869 मामले ही ऐसे थे, जो पूर्ण विश्वास के साथ समाप्त हो सके।
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94 प्रतिशत मामलों में परिचित ही निकले अपराधी
इसके अलावा चौंकाने वाली बात ये भी है कि महिलाओं या फिर बच्चों के साथ दुष्कर्म के 94 प्रतिशत मामलों में अपराधी पीड़िता के जानकार या फिर परिवार का ही कोई सदस्य था। 36,657 मामलों में से 34,650 केस ऐसे थे, जिनमें अपराधी कोई पड़ोसी, या फिर कोई परिचित ही था।
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एनसीआरबी की रिपोर्ट के कुछ आंकड़े
कहा जा रहा है कि इसी वास्तविकता दो देखते हुए एक्सपर्ट ने रेप के मामलों में मौत की सजा के प्रावधान को लेकर खूब बहस हुई है।
– NCRB की रिपोर्ट के मुताबिक 2014 में महाराष्ट्र में महिलाओं के खिलाफ अपराधों के कुल 26818 मामले दर्ज हुए थे। जबकि 2015 में ये बढ़कर 31126 और साल 2016 महिलाओं के खिलाफ अपराधों के कुल 31388 मामले दर्ज हुये, जो बेहद चौंकाने वाले हैं।
– वहीं, अगर राज्य में रेप जैसी घटनाओं की बात की जाए तो 2014 में जहां राज्य में महिलाओं से रेप के 3438 मामले दर्ज हुए, वहीं 2015 में बढ़कर 4144 और साल 2016 में राज्य में महिलाओं से रेप के कुल 4189 मामले दर्ज हुए।

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