यह शिकायत भीमा कोरेगांव निवासी मंगल कांबले ने शिकरापुर थाने में दर्ज कराई। इसमें उन्होंने बताया है कि पहली जनवरी को दिन के करीब 11 बजे 15-20 मोटरसाइकिलों से लोग जय स्तंभ स्थित उनकी दुकान पर पहुंचे। आरोपियों ने सबको दुकान से बाहर करते हुए उसे आग के हवाले कर दिया। समूह में शामिल एक व्यक्ति ने मंगल को छड़ी से भी पीटा। हिंसा में शामिल लोगों की धमकी के बाद उन्हें परिवार के साथ पुणे के हडपसर भागना पड़ा। अगले दिन करीब दो बजे पड़ोसी ने फोन करके मंगल को उनके घर, दुकान और स्टॉल के जलकर बर्बाद होने की सूचना दी। इस घटना को लेकर 11 महीने बाद रिपोर्ट दर्ज कराने की बात पर मंगल ने कहा कि उस दिन पुलिस ने पंचनामा किया था, लेकिन वह नुकसान का ब्योरा नहीं दे पाई थीं। अब जब उन्हें पता चला कि हिंसा पीडि़तों को सरकार मुआवजा दे रही है तो उन्होंने रिपोर्ट दर्ज कराने का फैसला किया।
इस मामले में भीमा कोरेगांव निवासी संग्राम ढेरंगे, प्रकाश काशिद व मुकुंद गावहने तथा दिगराजवाड़ी निवासी विशाल गावहने को नामजद करते हुए 25 लोगों के खिलाफ एससीएसटी एक्ट समेत अन्य गंभीर आपराधिक धाराओं में रिपोर्ट दर्ज की गई है। अभी किसी की गिरफ्तारी नहीं हो सकी है। बता दें कि पुणे-अहमदनगर रोड पर जय स्तंभ 1818 में पेशवा और ईस्ट इंडिया कंपनी के बीच हुए भीमा कोरेगांव युद्ध की याद में बनाया गया था। युद्ध के 200 साल पूरे होने के उपलक्ष्य में दलित समुदाय के लोग पहली जनवरी को समारोह का आयोजन कर रहे थे, तभी हिंसा हुई।