पीड़िता छात्र की मां ने बताया कि, ‘मुझे पहली बार शक तब हुआ जब पिछले साल मेरे बेटे को पेट में दर्द होने लगा और उसे कई बार डायरिया हो गया। बच्चे की हालत में कोई सुधार नहीं हुआ तो मैं डॉक्टर के पास गई। लेकिन कोई फायदा नहीं हुआ। महिला ने आगे बताया, ‘मेरा बेटा रात में, ‘सर प्लीज मत करिए, मत करिए’ कहते हुए उठ जाता था। मैंने उससे कई बार पूछा भी लेकिन वह सिर्फ परेशान होता। वह सिर्फ यही कहता कि टीचर ने डांटा है। एकदिन मैंने उसकी जांघ पर चोट के निशान देखे, वहीं से मुझे यकीन हुआ कि कुछ ना कुछ तो गड़बड़ है। मैंने उसे गले लगाकर पूछा कि क्या हुआ है?’
बच्चे ने लिखकर बताई पूरी आपबीती
महिला ने आगे बताते हुए कहा कि, ‘शुरुआत में तो वह हिचकिचा रहा था इसलिए मैंने उसे एक पेन और कागज दिया तो उसने पूरा कहानी मुझे लिखकर बता दी। मुझे पढ़कर तो यकीन ही नहीं हुआ। मुझे याद आने लगा कि वह बार-बार कोचिंग ना जाने की बात कहा करता था लेकिन तब मुझे लगा कि यह तो बच्चों की आदत होती है।’