scriptनिर्भया केसः दिल्ली हाईकोर्ट में सॉलिसिटर जनरल बोले- देशभर के अपराधी कानून की हार पर खुशी मना रहे हैं | Nirbhaya Case: SG Tushar Mehta present in Delhi High Court | Patrika News
क्राइम

निर्भया केसः दिल्ली हाईकोर्ट में सॉलिसिटर जनरल बोले- देशभर के अपराधी कानून की हार पर खुशी मना रहे हैं

दिल्ली हाईकोर्ट में सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता की दलील।
बताईं वजह कि क्यों दोषियों को फांसी दिया जाना है जरूरी।
सिस्टम की खामी के चलते दोषियों को मिल पा रही है मोहलत।

नई दिल्लीFeb 02, 2020 / 05:00 pm

अमित कुमार बाजपेयी

नई दिल्ली। निर्भया गैंगरेप और मर्डर केस में दोषियों की फांसी टल चुकी है और पटियाला हाउस कोर्ट को फांसी की अगली तारीख जारी करनी है। हालांकि इस बीच रविवार को दिल्ली हाईकोर्ट ने इस मामले की सुनवाई की। इस दौरान सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने मामले की रिपोर्ट सौंपते हुए कहा कि इस केस में न्याय प्रणाली की हार पर देश का हर अपराधी खुश हो रहा है।
कोर्ट ने बड़ी वजह बताते हुए निर्भया केस के दोषियों की फांसी टाल दी, अब अगले आदेश में पता चलेगी तारीख

अदालत में मामले से जुड़ी रिपोर्ट सौंपने के बाद सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कहा, “इस मामले में दोषी की ओर से जानबूझकर देरी की गई और संस्था की ओर से और त्वरित प्रतिक्रिया दी गई। न्याय के हित में कोई देरी नहीं हो सकती, मौत की सजा में देरी नहीं हो सकती। दोषी के हित में, मौत की सजा में किसी भी तरह की देरी का आरोपी पर अमानवीय प्रभाव पड़ेगा।”
सॉलिसिटर जनरल ने अदालत में कहा, “एक बार जब सुप्रीम कोर्ट ने सभी दोषियों का भाग्य अंतिम रूप से तय कर दिया, तब उन्हें अलग-अलग फांसी दिए जाने में कोई रुकावट नहीं है। अंतिम कानूनी उपाय जो फांसी को स्थगित कर सकता है वह जेल नियमों के अनुसार है कि सुप्रीम कोर्ट में स्पेशल लीव पेटिशंस दाखिल कर दी जाए।”
https://twitter.com/ANI/status/1223916840163766273?ref_src=twsrc%5Etfw
उन्होंने आगे कहा, “दिल्ली प्रिजन रुल्स (दिल्ली जेल नियम) कहता है कि सह-दोषियों (एक ही मामले के कई दोषी) के मामले में, दोषियों को एक साथ फांसी दी जानी चाहिए, अगर केवल “अपील या आवेदन” लंबित है। इस “अपील या आवेदन” में दया याचिकाएं शामिल नहीं हैं। वे अलग हैं और उन्हें इसमें शामिल नहीं किया जा सकता है।”
बड़ी खबरः निर्भया केस में दोषियों के वकील बोले- भगवान नहीं हैं राष्ट्रपति या सुप्रीम कोर्ट के जज, कर सकते हैं गलती

फांसी देने के बारे में बताते हुए मेहता ने कहा, “कानून को दोषियों को फांसी दिए जाने से पहले उनके मामले निपटाने के लिए 14 दिनों के नोटिस देने की आवश्यकता होती है। इस मामले में 13वें दिन, एक अपराधी कुछ दलील दायर करेगा और फिर सभी के खिलाफ वारंट पर स्टे लगाने के लिए कहेगा। वे सभी मिलकर कार्य कर रहे हैं।”
दया याचिका के बारे में मेहता ने कहा, “दया क्षेत्राधिकार हमेशा एक व्यक्तिगत अधिकार क्षेत्र है। राष्ट्रपति अपनी परिस्थितियों के कारण किसी दोषी के प्रति दया दिखा सकते हैं। लेकिन यह अन्य दोषियों पर कैसे लागू होगा?”
https://twitter.com/ANI/status/1223922520425787395?ref_src=twsrc%5Etfw
उन्होंने दोषियों को फांसी दिए जाने की दलील दी “संस्था (न्यायपालिका) की विश्वसनीयता और मौत की सजा पर अमल करने की इसकी शक्ति दांव पर है। तेलंगाना में बलात्कार के आरोपियों की मुठभेड़ के बाद मौत पर लोगों ने जश्न मनाया था। यह पुलिस का उत्सव नहीं था, यह न्याय का उत्सव था।”
BIG NEWS: तिहाड़ जेल के फांसीघर पहुंचे पवन जल्लाद, ‘चारों पुतलों’ को फांसी के फंदे पर लटकाया जाएगा

मेहता ने अदालत से कहा, “अपराधी कानून की प्रक्रिया का फायदा उठा रहे हैं। ट्रायल कोर्ट द्वारा जारी आदेश (फांसी पर रोक लगाने के) को रोक दिया जाना चाहिए। प्रत्येक अपराधी देश में न्यायिक प्रणाली को हराए जाने की खुशी मना रहा है।”

Home / Crime / निर्भया केसः दिल्ली हाईकोर्ट में सॉलिसिटर जनरल बोले- देशभर के अपराधी कानून की हार पर खुशी मना रहे हैं

loksabha entry point

ट्रेंडिंग वीडियो