मां की ममता को शर्मसार करने वाला एक ऐसा ही मामला बलरामपुर-रामानुजगंज जिले के रामचंद्रपुर विकासखंड से आया है। ग्राम इंद्रावतीपुर में इंद्रावतीपुर एवं कामेश्वरनगर के बीच जंगल में रविवार की सुबह एक महिला गाय चरा रही थी। इसी बीच उसे बच्चे की रोने की आवाज सुनाई थी।
आवाज की दिशा में वह गई तो झाडिय़ों के बीच नवजात रोता (Shameful) मिला। इसकी जानकारी उसने गांव में जनप्रतिनिधियों को दी। इसकी सूचना चाइल्ड लाइन को दी गई। सूचना पर चाइल्ड लाइन की टीम सोमवार को पहुंची और नवजात को बलरामपुर सीडब्ल्यूसी में ले जाया गया, यहां से उसे मातृछाया अंबिकापुर भेजा गया।
गौरतलब है कि रविवार की सुबह ग्राम इंद्रावतीपुर में महिला गाय को चराने जंगल गई थी, इसी दौरान नवजात बच्चे की रोने की आवाज सुनाई दी। जब महिला नजदीक गई तो देखा कि नवजात को बोरे पर लिटाया गया था। इसके बाद उसने इसकी सूचना पूर्व जनपद अध्यक्ष मोहन सिंह सरपंच धर्मजीत सिंह एवं पूर्व सरपंच मुंद्रिका सिंह को दी।
इसके बाद काफी संख्या में गांव वाले मौके पर पहुंचे एवं तत्काल बच्चे को सनावल अस्पताल ले गए। यहां पर बच्चे का स्वास्थ्य परीक्षण कराया एवं रात में नवजात को गांव लाया गया, जहां राजकुमार गुप्ता के द्वारा नवजात बच्चे को अपने यहा रखा गया एवं सुबह चाइल्डलाइन को सूचना दी गई।
चाइल्ड लाइन की टीम सुबह 11 बजे के करीब गांव में पहुंची एवं बच्चे को सीडब्ल्यूसी बलरामपुर ले जाया गया। यहां से बच्चे को मातृछाया अंबिकापुर भेजा गया है। इधर बच्चे को जिसने भी देखा वह कहता रहा- जाको राखे साइयां मार सके न कोय।
नवजात का रेस्क्यू करने में चाइल्ड लाइन से महेंद्र यादव, टीम मेम्बर मंजू रजक महिला एवम बाल विकास विभाग से उर्मिला राजवाड़े, बाखला सिंह सहित बीडीसी मोहन सिंह, सरपंच धर्मजीत सिंह उपस्थित रहे।
नवजात को छोडऩे को तैयार नहीं थे ग्रामीण
जब चाइल्ड लाइन द्वारा नवजात बच्चे को मातृछाया छाया अंबिकापुर भेजा जाने लगा तो गांव के लोग नवजात को छोडऩे को तैयार नहीं थे। वे उसके भरण-पोषण करने को तैयार थे। उन्होंने कलेक्टर तक इसकी गुहार लगाई परंतु कलेक्टर द्वारा नियमानुसार नवजात को गोद लेने की प्रक्रिया पूर्ण करने को कहा गया।
पूरी तरह स्वस्थ है नवजात
नवजात बच्चे का स्वास्थ्य परीक्षण सनावल अस्पताल में कराया गया। बच्चे का वजन ढाई किलो था जिसकी नाभी का नाल यहां काटा गया। बच्चा पूरी तरह से स्वस्थ है। डॉक्टरों ने बताया कि बच्चा एक दिन पूर्व ही जन्मा है। वहीं जिस महिला ने सबसे पहले नवजात को देखा, उसका कहना है कि रोते-रोते बच्चा बोरे से आधा नीचे उतर गया था लेकिन उसे खरोंच तक नहीं आई थी।
रातभर में बच्चे से हुआ लगाव
रविवार की सुबह नवजात के मिलने के बाद राजकुमार गुप्ता के घर में बच्चे को रखा गया था। रात भर बच्चे को रखने के बाद राजकुमार गुप्ता के परिवार का बच्चे से ऐसा लगाव हो गया था कि वे उसे छोडऩे को तैयार नहीं थे। बताया जा रहा है कि करीब 30 परिवार बच्चे को अपनाने को तैयार था।
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