जब महिला को घर से निकाला गया उस वक्त का दृश्य काफी भयावह था। जैसे ही रेस्क्यू टीम ने दरवाजा खोला तो महिला जमीन पर गंदगी के बीच पड़ी थी। महिला को जहां रखा गया था वहां कोई शौचालय नहीं था। ऐसे में फर्श पर ही मल आदि पड़ा हुआ था। महिला का भाई उसे चार दिन में सिर्फ ब्रेक का एक टुकड़ा खाने के लिए देता था। ऐसे में भूख की वजह से महिला की हड्डियां कमजोर हो गई हैं।
महिला हेल्पलाइन 181 पर सूचना मिली कि एक महिला घर में कैद है। इस पर आयोग की मोबाइल हेल्पलाइन काउंसलर तुरंत वहां भेजी गईं। जब आयोग की टीम ने घर के मालिक से गेट खोलने को कहा तो भाई की पत्नी ने मना कर दिया। उसने आयोग के लोगों को गालियां देना शुरू कर दिया। आयोग की टीम ने थाने में एसएचओ से बात की जिन्होंने सहायता के लिए पुलिस की एक टीम भेजी। इस मामले का पता तब चला जब महिला के दूसरे भाई ने दिल्ली महिला आयोग के हेल्पलाइन नंबर पर फोन कर जानकारी दी। उन्होंने फोन पर कहा था कि वह दिमागी बीमारी से जूझ रही है और भाई के द्वारा उसे बंद किया गया है।