गुलाल की तैयारी में दिन रात जुटी महिलाएं स्व सहायता समूह की शांति बघेल ने बताया कि फूलों के साथ ही चुकंदर, हल्दी, आम और अमरूद की हरी पत्तियां को भी प्रोसेस कर इसमें मिलाया जाता है । पिछले साल भी जिले में हर्बल गुलाल की बेहद मांग रही जिसको देखते हुए इस बार होली पर्व को लेकर कृषि विज्ञान केन्द्र गीदम से जुड़ी महिलाएं हर्बल गुलाल की तैयारी में अभी से दिन रात जुटी हुई हैं। चूंकि हर्बल गुलाल हानिरहित होता है इसलिए इसकी मांग जिले सहित पूरे प्रदेश होती है, इसलिए महिलाओं का प्रयास इसके अधिक से अधिक उत्पादन का प्रयास कर रही हैं। प्रत्येक स्वस्थ समूह 10 महिलाएं हैं और जिन्हें हर्बल गुलाल के उत्पादन से प्रत्येक को 10 से 15000 रुपए की आय हो जाती है।
दिया जाता है प्रशिक्षण कृषि विज्ञान केंद्र के संचालक व सीनियर साइंटिस्ट डिप्रोशन बंजारा ने बताया कि हम पिछले पांच वर्ष से यह हर्बल गुलाल बनाने का कार्य कर रहे हैं । क्योंकि दंतेवाड़ा जिला आदिवासी बाहुल्य क्षेत्र है । हम महिलाओं को स्वयं सहायता समूह के माध्यम से उनके आर्थिक स्थिति को मजबूत करने का कार्य कर रहे हैं। कृषि विज्ञान केंद्र में प्रशिक्षण दिया जाता है।