राज्य की जल नीति-2019 के मुताबिक उत्तराखंड के सभी हैंड पंपों की तस्वीरें भौगोलिक सूचना तंत्र (जीआईएस) के पास होगी। जिसमें तस्वीरों के अलावा हैंड पंपों के बारे में विस्तृत जानकारी रहेगी। माना जा रहा है कि पंचायतीराज को हैंडपंप संचालन की जिम्मेदारी सौंपी जा सकती है।
दरअसल काफी लंबे समय से उत्तराखंड में सडक़ों के इर्द गिर्द हैंड पंप लगाए गए हैं जिससे अमूनन दुर्घटनाएं होती हैं। साथ ही सडक़ों की खुदाई या मरम्मत के समय भी हैंड पंप प्रभावित होते हैं। इसलिए जन नीति में इस व्यवस्था को शामिल किया गया है।
इसके इतर इस व्यवस्था के लागू हो जाने से भूजल को सुरक्षित रखने में भी काफी मदद मिलेगी। भूजल स्तर बरकरार रहे इसके लिए वर्षा के जल का संरक्षण और संवर्द्धन किया जाएगा ताकि हैंड पंपों में हमेशा पानी उपलब्ध रहे। इसके अलावा सार्वजनिक या फिर निजी संस्थानों जैसे निजी अपार्टमेंट, होटल, ढाबा, माल और उद्योगों में एक निश्चित सीमा तक भूजल के उपयोग की इजाजत दी जाएगी।
सिंचाई विभाग का मानना है कि इस तरह की रणनीति अपनाने पर हैंड पंपों में पानी का जलस्तर कम नहीं होगा। इस सबंध में विभागीय संयुक्त सचिव प्रेम आर्य का कहना है कि भू जल स्तर कम नहीं हो। हैंड पंपों में हर मौसम में पानी उपलब्ध रहे इसके लिए भूजल के अति दोहन को रोका जाएगा। साथ भूजल को सुरक्षित रखने के लिए वैज्ञानिक पद्धति अपनायी जाएगी।