काकड़दा रोड पर सरदार सिंह यादव अपने परिवार के साथ रहते है। बेटे अरूण यादव को सात साल पहले शुगर हो गई। बेटे के इलाज के लिए यादव को हजारों रुपए महीना लग रहे थे। शुरुआत में फसल ठीक रहने से वे इलाज कराते रहे,लेकिन तीन साल से फसल बर्बाद होने लगी। उधर इलाज और घर खर्च के लिए रुपयों की जरूरत प डऩे लगी। उन्होंने ब्याज से पैसा लेना शुरू कर दिया। जबकि उस दौर की सरकार इलाज के लिए पैसा दे रही थी लेकिन जागरूकता के अभाव में वे सरकारी मदद नहीं ले पाए। बर्बाद फसलें होने से उनकी हालत खराब होती गई।
जमीन भी रख दी गिरवी इसी बीच उन्होंने सात बीघा जमीन भी गिरवी रख दी। परिचितों ने बताया किइस बार की फसल से यादव को काफी उम्मीद थी, कि जो उन पर कर्ज है वे इसे चुकता कर देंगे। यादव पर लगभग आठ लाख रुपए का कर्जा था। वहीं पाला पडऩे से उनकी फसल पूरी तरह से बर्बाद हो गए। वे सदमे में चले गए। परिजन अंतर यादव ने बताया कि बुधवार की रात सरदार खाना खाकर नौ बजे गाय बांधने वाले कमरे में गए। जब वे रात 11 बजे तक नहीं लौटे तो परिजन तलाश करते हुए उस कमरे में गए। जहां वे फांसी के फंदे पर लटके हुए थे। परिजन अस्पताल ले गए जहां उनकी मौत हो गई।