scriptअंतिम सफर भी दुष्कर, कहीं लकड़ी-कंडे का अभाव तो कहीं कर्मचारी तैनात नहीं | The last journey is also difficult, at some places there is lack of wo | Patrika News
देवास

अंतिम सफर भी दुष्कर, कहीं लकड़ी-कंडे का अभाव तो कहीं कर्मचारी तैनात नहीं

शहर के बाहरी क्षेत्रों में बने हैं मुक्तिधाम, ज्यादातर शहरवासी मुख्य मुक्तिधाम पर ही करते हैं अंतिम संस्कार, नगर निगम करता है देखरेख
 

देवासFeb 05, 2024 / 10:40 pm

rishi jaiswal

अंतिम सफर भी दुष्कर, कहीं लकड़ी-कंडे का अभाव तो कहीं कर्मचारी तैनात नहीं

अंतिम सफर भी दुष्कर, कहीं लकड़ी-कंडे का अभाव तो कहीं कर्मचारी तैनात नहीं

देवास. शहर के बाहरी क्षेत्रों में विभिन्न स्थानों पर बने मुक्तिधाम पर इंतजाम नाकाफी हैं। कहीं अंतिम संस्कार के लिए लकड़ी-कंडे के इंतजाम नहीं हैं तो कहीं कर्मचारी ही तैनात नहीं है। एक जगह तो मुख्य गेट पर ताला ही लगा हुआ है। नगर निगम की अनदेखी की वजह से कुछ मुक्तिधाम की हालत भी खराब हो रही है। यहां असामाजिक तत्व यहां की व्यवस्थाओं को नुकसान पहुंचा रहे हैं। वहीं छोटे मुक्तिधामों पर इंतजाम नहीं होने ज्यादातर लोग अंतिम संस्कार के लिए मुख्य मुक्तिधाम पर ही पहुंचते हैं। केवल मुख्य मुक्तिधाम पर ही व्यवस्थाएं ठीक हैं। बाहरी क्षेत्र के मुक्तिधाम पर व्यवस्थाएं बेहतर करने की ओर नगर निगम कोई ध्यान नहीं दे रहा है।
यहां हैं मुक्तिधाम

शहर में मुख्य मुक्तिधाम के अलावा शहर में इटावा क्षेत्र में अर्जुन नगर आड़ा कांकड़, बालगढ़, मेंढकीचक, अमोना, बिलावली में नगर निगम द्वारा मुक्तिधाम बनाए गए हैं। यहां आवश्यक सुविधाएं भी जुटाई गई है लेकिन ज्यादातर जगह पर कोई कर्मचारी तैनात नहीं है। जब भी अंतिम संस्कार करना होता है तो लोगों द्वारा संबंधित कर्मचारी को फोन करना पड़ता है। वहीं कई बार लकड़ी-कंडे के इंतजाम नहीं होने पर लोगों को अपने स्तर पर व्यवस्थाएं करनी पड़ती है।
नुकसान पहुंचा रहे असामाजिक तत्व

मेंढकीचक में मयूर पार्क के समीप ही श्मशान है। यहां नगर निगम द्वारा लोगों के बैठने के लिए शेड बनाया गया है। वहीं दो शटर लगाकर लकड़ी-कंडे व अन्य सामग्री रखने के लिए कक्ष बनाए गए हैं। यहां हालात यह है कि अंतिम संस्कार के लिए न लकड़ी है न कंडे। वहीं शाम होते ही यहां असामाजिक तत्वों का जमावड़ा हो जाता है। रहवासियों ने बताया असामाजिक तत्वों द्वारा कुर्सियों व शेड में लगाए गए पत्थर को नुकसान पहुंचाया जा रहा है। पत्थर उखाड़कर दो कुर्सियों के बीच रखकर टेबल बना दी गई है। इसका उपयोग शराबखोरी के समय किया जा रहा है। वहीं परिसर में झाडियां व घास उग रही है जिसे हटाने के इंतजाम नहीं है। अंतिम संस्कार के लिए लकड़ी-कंडे का इंतजाम लोग खुद करते हैं।
गेट पर लगा ताला

अर्जुन नगर आड़ा कांकड़ के मुक्तिधाम के मुख्य गेट पर ताला लगा रहता है। यहां बाहर कर्मचारियों के नंबर लिखे हुए हैं लेकिन दिन में कोई कर्मचारी तैनात नहीं रहता। जब भी अंतिम संस्कार करना होता है तो संबंधित कर्मचारी को कॉल कर बुलाना पड़ता है। यही हाल बालगढ़ के मुक्तिधाम के हैं। यहां व्यवस्थाएं ठीक है लेकिन कर्मचारी नहीं है।
कर्मचारियों की है कमी

नगर निगम की ओर से केवल मुख्य मुक्तिधाम पर ही कर्मचारी तैनात किए गए हैं। कर्मचारी नहीं होने से बाहरी क्षेत्र के मुक्तिधाम पर व्यवस्थाएं ठीक नहीं हो पा रही है। अंतिम संस्कार के बाद राशि जमा कर रसीद काटने व अन्य कार्य के लिए कर्मचारी को बुलाना पड़ता है।
व्यवस्थाएं बेहतर हो तो लोग करें उपयोग

बाहरी क्षेत्र के मुक्तिधाम पर आवश्यक इंतजाम नहीं होने से लोग मुख्य मुक्तिधाम पहुंचते हैं। अर्जुन नगर आड़ कांकड़ व मेंढकीचक के मुक्तिधाम से शहर की कई कॉलोनियां लगी हुई है। यहां इंतजाम नहीं होने से मजबूरी में लोगों को अंतिम संस्कार के लिए मुख्य मुक्तिधाम जाना पड़ता है। इन दोनों जगहों पर आवश्यक इंतजाम कर दिए जाएं तो लोगों को लंबी दूरी तय नहीं करनी पड़ेगी।
-शहर के बाहरी क्षेत्रों के मुक्तिधाम पर डिमांड के अनुसार लकड़ी-कंडों की व्यवस्था की जाती है। कर्मचारियों की कमी है इसलिए सभी जगह कर्मचारी नहीं है। जहां जरूरत पड़ती है वहां कर्मचारी पहुंच जाते हैं।
-जितेंद्र सिसौदिया, स्वास्थ्य अधिकारी, ननि

Hindi News/ Dewas / अंतिम सफर भी दुष्कर, कहीं लकड़ी-कंडे का अभाव तो कहीं कर्मचारी तैनात नहीं

ट्रेंडिंग वीडियो