केन्द्र सरकार ने टैक्स चोरी की बढ़ती घटनाओं को गंभीरता से लिया है। सूत्रों की मानेंं तो जिले में भी टैक्स चोरी का मामला सामने आया था, हालांकि जांच के बाद कोई सबूत नहीं मिलने से व्यापारी के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं हो सकी। ऐसे में शासन ने इस पर लगाम कसने के लिए इंटर प्रोजेक्ट इनसाइट साफ्टवेयर लांच किया है। अधिकारियों की मानें तो यह साफ्टेवयर करदाता की आय-व्यय का डाटा खुद ही तैयार कर लेगा।
उल्लेखनीय है कि आयकर रिटर्न दाखिल करते समय व्यापारियों को अपना पैन नंबर, मोबाइल नंबर, ईमेल, आधार कार्ड नंबर समेत अन्य दस्तावेजों का पूरा डिटेल देना होता है। देखा गया है कि व्यापारी मैनीअली आयकर रिटर्न दाखिल करते समय कुछ जानकारियोंं को छिपा लेता है। आयकर विभाग मेंं भी मैनुअली काम होने से अधिकारी बारीकी से इसकी जांच नहीं कर पाते हैं। ऐसे में कई आयकर दाता टैक्स चोरी करने में सफल भी हो जाते हैं।
ऐसा करता है काम
आयकर विभाग बैंकों से करदाता का आय-व्यय का ब्यौरा एकत्रित करता है, लेकिन अब यह साफ्टवेयर आटोमेटिक तरीक से डाटा अन्वेषण कर गड़बड़ी बता देगा। यही नहीं करदाताओं का 70-90 फीसदी तक डाटा खुद तैयार कर लेगा। इस तरह टैक्स में चोरी आसानी से पकड़ी जा सकती है।
होगा कारगर साबित
एक व्यापारी का कहना है कि आयकर रिटर्न दाखिल करने के लिए उन्हें काफी सावधानी बरतना पड़ता है। एक ही जानकारी को दुबारा रिटर्न भरने में कई गलतियां हो जाती है। ऐसे मेंं जांच के दायरे मेंं आ जाते है। यही नहीं कई लोग टैक्स की चोरी भी करते हैं। यह साफ्टवेयर टैक्स चोरी रोकने में काफी कारगार साबित होगा।