इसी के साथ टीम द्वारा भोजशाला में बने खम्बों की भी मैपिंग की जा रही है। गुंबद की मैपिंग भी चल रही है। क्लीनिंग ब्रशिंग की गई है। मिलने वाले सभी शिलालेख और पत्थरों की सफाई कर उनके फोटो वीडियो लेकर उनकी क्लीनिंग कर नंबरिंग कर कोडिंग देकर पैक कर लिया गया है। अब उन्हें लैब भेजा जाएगा। आने वाले दिनों में सर्वे के लिए और नई विधाओं के साथ जीपीएस और जीपीआर मशीन का भी इस्तेमाल किया जाएगा। इसी के साथ पत्थरों की कार्बन डेटिंग भी करवाई जाएगी।
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मुस्लिम पक्षकार अब्दुल समद ने कहा कि अब तक के सर्वे से वो संतुष्ट है, लेकिन कुछ मामलों में उन्होंने आपत्ती दर्ज कराई है। उनका कहना है कि हाईकोर्ट के निर्देश के मुताबिक, ऐसी जगह खुदाई नहीं की जानी चाहिए, जिससे किसी मोनुमेंट को नुकसान पहुंचे। लेकिन दरगाह के पास खुदाई की जा रही है। बाबा की दरगाह के पास किसी का भी जाना माना है। बाबा की मजार है, दरगाह है, वो अपने आप में सम्माननीय हैं। असल दरगाह नीचे है। उसमें एक तलघर है। हम लोग उन्हें ये बता चुके हैं।
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अब्दुल समद का कहना है कि बाबा की दरगाह तलघर में है। पुरातत्व टीम को वहां विजिट कराई जा चुकी है। आने वाले दिनों में और भी विजिट करवाई जाएगी। वहां से जो शिलालेख निकले हैं, जो चीजें निकली है। वो मुस्लिम पक्ष की हैं। जो भाषा में लिखा हैं, उसके लिए साइंस की टीम यहां पर जुड़ने वाली है। वहीं हिंदू पक्ष के गोपाल शर्मा ने कहा कि सर्वे की असल जरूरत भोजशाला में नहीं, बल्कि दरगाह परिसर में है।