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यहां भी मिल रहे हैं काशी जैसे प्रमाण, पहले यहां था सरस्वती मंदिर

धार की भोजशाला में है सरस्वती मंदिर…। काशी और मथुरा की तरह मुस्लिम आक्रांताओं ने मस्जिद बना दी थी…। अब यहां मिल रहे हैं मंदिर होने के प्रमाण…।

धारApr 21, 2024 / 09:23 am

Manish Gite

bhojshala dhar
संरक्षित इमारत भोजशाला में वैज्ञानिक सर्वे को एक माह पूरा हो चुका है। उत्खनन के दौरान निकले शिलालेख और प्राचीन अवशेष के साथ वर्तमान में जो शिलालेख मौजूद हैं, उन्हें समझने के लिए तीन भाषाओं के जानकार विशेषज्ञ भी भोजशाला पहुंचे और सर्वे में जुटे। रविवार को सर्वे का 31वां दिन है।
भोजशाला में सर्वे का काम चल रहा है। इस दौरान भोजशाला के भीतर दीवार, स्तंभ और खिड़की में उकेरी हुई प्राचीन आकृति और मूर्तियों पर लगी सुरक्षा कांच की फ्रेम को हटवाया है। बताया जा रहा है कि भाषाओं के विशेषज्ञों द्वारा शिलालेखों का अध्ययन किया जाएगा, ताकि इन पर मौजूद प्राचीन लिखावट का अनुवाद कर उन्हें समझा जा सके। तीनों सदस्यों ने शनिवार को इन्हें देखा है। बताया जा रहा है कि विशेषज्ञों की मदद से इन शिलालेखों का हिंदी और अंग्रेजी में अनुवाद किया जाएगा।

दिखने लगा स्ट्रक्चर

इधर भोजशाला के दक्षिण भाग में दरगाह परिसर से कुछ दूरी पर टीम एक प्वाइंट पर मिट्टी हटाने का काम कर रही थी। यहां नया बड़ा स्ट्रक्चर दिखाई देने लगा है।

व्यापक स्तर पर चल रहा सर्वे

हिंदू पक्ष के गोपाल शर्मा ने कहा कि व्यापक स्तर पर सर्वे चल रहा है। दक्षिण की तरफ मिट्टी हटाने के दौरान नया स्ट्रक्चर दिख रहा है। वहीं पश्चिमी हिस्से में उत्खनन हो रहा है। मुस्लिम पक्षकार अब्दुल समद ने बताया उर्दू या फारसी में जो लिखा है, उसे भी पढ़ा जाएगा।
एएसआई टीम के लीडर अतिरिक्त महानिरीक्षक डा. आलोक त्रिपाठी भी शनिवार को धार पहुंचे थे। उनके नेतृत्व में सर्वे कार्य में गति आई। भोजशाला परिसर में स्थित कमाल मौलाना की दरगाह में भी जो शिलालेख उर्दू या फारसी में है, उनके भी अध्यन का कार्य विशेषज्ञों की ओर से किया जाएगा। सर्वे टीम के साथ मौजूद हिन्दू पक्षकार गोपाल शर्मा ने बताया कि दीवार की लेवलिंग का कार्य तेज गति से हुआ। दक्षिण में एक प्लेटफार्म मिला है, जिसकी सफाई की गई। पस्चिम दिशा में भी खुदाई जारी है। भोजशाला की नींव और उससे संबंधित तथ्यों का पता किया जा रहा है। यज्ञ कुंड के पास में मिट्टी की खुदाई का कार्य जारी है।

भोजशाला की गाथा बता रहे हैं प्रमाण

गोपाल शर्मा कहते हैं कि अब तक जो साक्ष्य सामने आए हैं, निश्चित ही भोजशाला की गाथा को बताते हैं। साथ ही आक्रमणकारियों के कर्मों का परिणाम भी साक्ष्य के रूप में भोजशाला में दिखाई दे रहा है। भोजशाला प्रथम दृष्टया में मंदिर है, यह सभी ने देखा है, परन्तु इसे मस्जिद में परिवर्तित करने का कार्य मध्यकाल से चल रहा है।

क्या कहता है इतिहास

इतिहास के पन्नों में कई दिलचस्प बातें मिलती है। परमार राजवंश के शासक राजा भोज ने धार में एक महाविद्यालय की स्थापना की थी, जिसे बाद में भोजशाला के रूप में कहा जाने लगा। राजाभोज माता सरस्वती के उपासक थे और संभवतः यही कारण था कि उनकी रुचि शिक्षा और साहित्य में अधिक थी। राजा भोज ने 1034 में भोजशाला के रूप में एक भव्य पाठशाला का निर्माण किया और यहां माता सरस्वती की एक प्रतिमा स्थापित की। इसे तब सरस्वती सदन कहा गया था। भोजशाला को माता सरस्वती का प्राकट्य स्थान भी माना जाता है। यह सरस्वती मंदिर होने के साथ ही भोजशाला भारत के सबसे बड़े विश्वविद्यालयों में से एक था। इसके अलावा यह विश्व का प्रथम संस्कृत अध्ययन केंद्र भी था।

खिलजी ने किया था आक्रमण

ऐतिहासिक तथ्यों के मुताबिक सन 1305 में मुस्लिम आक्रांता अलाउद्दीन खिलजी ने भोजशाला पर हमला किया था और उसे नष्ट कर दिया। बाद में सन 1401 में दिलावर खां ने भोजशाला के एक भाग में मस्जिद बना दी। अंततः 1514 में महमूद शाह खिलजी ने भोजशाला के शेष बचे हुए भाग पर मस्जिद का निर्माण करा दिया। इस प्रकार एक हिन्दू मंदिर इस्लामिक कट्टरपंथ की भेंट चढ़ गया। समय के साथ विवाद बढ़ता गया और अंग्रेजी शासनकाल में इसे संरक्षित स्मारक घोषित कर दिया गया था।

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