बिल्ली के बच्चे समझकर घर लाया और कर रहा था देखभाल
बाजरीखेड़ा गांव के रहने वाले किसान किरण गिरी को चार दिन पहले अपने गन्ने के खेत में दो बच्चे नजर आए उन्हें लगा कि ये बिल्ली के बच्चे हैं इसलिए वो दोनों बच्चों को उठाकर घर ले आए। जहां दोनों को बॉटल से दूध पिलाया और नहला धुलकार ठंड से बचाने के लिए उन्हें कपड़े से ढंककर रखा। किसान किरण गिरी को इस बात का बिलकुल भी एहसास नहीं था कि जिन बच्चों को वो बिल्ली का समझकर पाल रहा है वो बिल्ली के नहीं है। चार दिन बाद जब तेंदुए का एक बच्चा गुर्राया तो उसे इस बात का पता चला कि ये बिल्ली के नहीं बल्कि तेंदुए के बच्चे हैं।
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दो बच्चों में से एक नर और एक मादा
तेंदुए के बच्चे होने का एहसास होते ही किसान गिर्राज ने पुलिस को सूचना दी और पुलिस के सुपुर्द दोनों बच्चों को कर दिया। जिसके बाद पुलिस ने वन विभाग को तेंदुए के दोनों बच्चे सौंप दिए। वन विभाग के अफसर ने भी ये बात स्वीकार की है कि दोनों बच्चे तेंदुए के हैं जिनमें से एक नर है और एक मादा। वन विभाग दोनों का मेडिकल चैकअप कराएगा। बताया जा रहा है कि पहले भी किसान व ग्रामीणों ने वन विभाग को ये बात बताई थी कि जिन बच्चों को वो बिल्ली के समझ रहे हैं वो बिल्ली के नहीं है लेकिन तब वन विभाग की ओर से जंगली बिल्ली के बच्चे होने की बात कहकर दोनों बच्चों को जंगल में छोड़ देने के लिए कहा था।
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