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बीच शहर में है ‘वीरान’ स्कूल, 4 बच्चों को पढ़ाने के लिए तैनात हैं सवा लाख के दो टीचर

locationकटनीPublished: Dec 11, 2021 03:54:09 pm

Submitted by:

Shailendra Sharma

एक भी बच्चा नहीं आता स्कूल…रोजाना स्कूल पहुंचकर टीचर करती हैं बच्चों का इंतजार…

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कटनी. कटनी शहर में एक ऐसा अजब स्कूल है जो बिना विद्यार्थियों का है। जहां पर 4 बच्चे तो दर्ज हैं और उन्हें पढ़ाने के लिए दो मैडम भी मुस्तैद हैं, लेकिन हर दिन स्कूल वीरान रहता है। हम बात कर रहे हैं कि शहर के बीचोबीच प्राथमिक शाला सावरकर वार्ड की। यहां पर कक्षा एक से पांच तक के बच्चों को पढ़ाने के लिए दो महिला शिक्षक पदस्थ हैं। शिक्षक ऊषा ठाकुर, सुनीता उर्वेती जो बच्चों को पढ़ाने के लिए हर दिन सुबह स्कूल पहुंचती हैं लेकिन तमाम प्रयासों के बाद भी बच्चों को पढ़ा नहीं पा रही हैं।

 

टीचर्स हैं पर स्टूडेंट नहीं
सावरकर वार्ड की प्राथमिक शाला में महज 4 बच्चे दर्ज हैं और ये चार बच्चे भी स्कूल में पढ़ने के लिए नहीं आना चाहते। रोजाना टीचर ऊषा ठाकुर और सुनीता उर्वेती स्कूल पहुंचती हैं तो किसी तरह बच्चों को मिन्नतें कर स्कूल लाती हैं। पहले तो बच्चे स्कूल आना ही नहीं चाहते और जो आ भी जाते हैं तो पलभर में भाग जाते हैं। पहली से पांचवी तक के इस स्कूल की तीन कक्षाओं में तो एक भी छात्र नहीं है। स्कूल में बच्चे भी मात्र 4 दर्ज हैं। कक्षा दूसरी में एक चंचल नाम की एकलौती छात्रा है। जबकि कक्षा पांचवी में ऊषा, पलक और पलक के नाम दर्ज हैं। ऐसा नहीं है कि बस्ती में बच्चे नहीं हैं लेकिन कोई भी अपने बच्चों को स्कूल नहीं भेजना चाहता है।

 

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पत्रिका ने परखी हकीकत
पत्रिका ने जब स्कूल की हकीकत परखी तो यहां पर पढ़ने वाले दो बच्चे दूसरे के घर में मिले। शिक्षिका ऊषा ठाकुर बच्चों को किसी तरह समझाते हुए स्कूल लेकर पहुंचीं, लेकिन दोनों छात्राओं ने पढ़ने से साफ मना कर दिया और घर भाग गईं। बता दें कि स्कूल की भी स्थित ठीक नहीं हैं। शिक्षिका ऊषा ठाकुर द्वारा कुछ दिनों पहले 25 हजार रुपये जेब से लगाकर ठीक कराया है। कंटनजेंसी से मिलने वाली राशि भी बंद हो गई है। हैरानी की बात तो यह है कि बीच शहर इतना बदहाल स्कूल है, लेकिन शिक्षा के अधिकारी, जिला प्रशासन के अफसर अनजान हैं। स्कूल की दिशा-दशा सुधारने कोई पहल नहीं की जा रही।

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नशेड़ियों से त्रस्त शिक्षिकाएं
स्कूल में दो महिला शिक्षक पदस्थ हैं। स्कूल के आसपास व उसके अंदर प्रसाधन आदि परिसर में घुसकर नशेड़ी दिनदहाड़े शराब, स्मैक, गांजा आदि का नशा करते हैं। विरोध करने पर स्कूल में उपद्रव मचाते हैं। शिक्षिकाएं बताती हैं कि स्कूल में गंदगी फेंकने सहित श्वान के सिर सहित शराब की बोतलें आदि फेंकते हैं। प्रसाधन का ताला आदि भी तोड़ दिए हैं। पुराने प्रसाधन के तो दरवाजे आदि सबकुछ तोड़कर ले गए हैं।

 

अभिभावकों का अजब-गजब तर्क
इस बस्ती में रहने वाले लोग ही बच्चों को शिक्षित कराने को लेकर कोई रुचि नहीं रखते। अभिभावकों का अजब-गजब तर्क सामने आए हैं। एक अभिभावक ने कहा कि जब हम ही नहीं पढ़े तो बच्चों को पढ़ाकर क्या करेंगे। बस्ती के ही रहने वाले 52 वर्षीय सिंहराज का कहना है कि अभिभावकों द्वारा बच्चों को स्कूल भेजा जाना चाहिए, लेकिन पता नहीं बस्ती के लोग बच्चों को पढ़ाते ही नहीं हैं। बस्ती में स्कूल, मध्यान्ह भोजन, पुस्तक, गणवेश आदि की सुविधा भी है, फिर भी बच्चों को दिनभर खेलने देते हैं। बच्चे पढ़ेगे नहीं तो कैसे आगे बढ़ेंगे।

 

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इन वजहों से नहीं बढ़ पा रही उपस्थिति
– अभिभावकों की ठीक ढंग से काउंसलिंग न होना।
– बस्ती में पनपे नशे के कारोबार में रोक न लगना।
– शिक्षा सहित जिला प्रशासन द्वारा निगरानी न करना।
– बच्चों को शिक्षा से जोड़ने के लिए सकारात्मक पहल न करना।
– अप्रवेशी बच्चों का चिन्हांकन व प्रोत्साहन में कमी।

 

इनका कहना है
पत्रिका के द्वारा सावरकर वार्ड के स्कूल की स्थिति को संज्ञान में लाया गया है। सोमवार को स्कूल का निरीक्षण किया जाएगा। शिक्षकों से चर्चा करेंगे। स्कूल में यदि कोई कमी है तो उसे ठीक कराया जाएगा। टीम तैयार कर बस्ती में अभिभावकों व बच्चों की काउंसलिंग करेंगे। स्कूल में उपस्थिति बढ़ाने सक्रिय पहल की जाएगी।
केके डेहरिया, डीपीसी, कटनी

देखें वीडियो- पत्रिका की पहल से लौटा नर्मदा का कल-कल प्रवाह

https://youtu.be/byZ8w4ihIpo

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