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धर्म-कर्म

सूर्य देव को अर्घ्य देने से बन जाते हैं कैसे भी बिगड़े काम, बस इन नियमों का करना होगा पालन

ऐसे पाएं सूर्य देव का आशीर्वाद…

भोपालMar 06, 2021 / 12:08 pm

दीपेश तिवारी

Surya Arghya can make your all the difficult works

Surya Arghya can make your all the difficult works

सनातन धर्म में जहां सूर्य देव को आदि पंच देवों में से एक और कलयुग का एकमात्र दृश्य देवता माना जाता है। वहीं ज्योतिष में सूर्य को ग्रहों का राजा माना गया है। वैदिक ज्योतिष के अनुसार सूर्य को तारों का जनक माना जाता है।

वहीं जन्म कुंडली के अध्ययन में सूर्य की अहम भूमिका होती है। ज्योतिष के अनुसार सूर्य कभी वक्री गति नहीं करते। विभिन्न राशियों में सूर्य की चाल के आधार पर ही हिन्दू पंचांग की गणना संभव है। राशिचक्र में 12 राशियां होती हैं। अतः राशिचक्र को पूरा करने में सूर्य को एक वर्ष लगता है।

दरअसल सनातन संस्कृति में सूर्य को महज़ एक प्रकाश देने का प्राकृतिक स्रोत ही नहीं समझा जाता है, बल्कि इसे देवताओं की श्रेणी में रखा गया है। इसलिए हिन्दू संस्कृति में सदा से सूर्य देव की पूजा का विधान रहा है।

सूर्य न केवल अंधकार का नाशक है, बल्कि इसके प्रकाश में कई ऐसे तत्व भी हैं, जिनसे हमें रोग दोषों से मुक्ति मिलती है। शास्त्रों में सूर्य देव से प्राप्त होने वाली शक्तियों को हमारे धार्मिक ग्रंथों और शास्त्रों में भी विस्तार से बताया गया है।

सूर्य के चिकित्सीय और आध्यात्मिक लाभ को पाने के लिए लोग प्रातः उठकर सूर्य नमस्कार करते हैं। हिन्दू पंचांग के अनुसार रविवार का दिन सूर्य ग्रह के लिए समर्पित है जो कि सप्ताह का एक महत्वपूर्ण दिन माना जाता है।

सूर्य देव की कृपा पाने के लिए लोग सुबह-सुबह उठकर उन्हें अर्घ्य देते हैं। शास्त्रों में सूर्य के अर्घ्य को काफी महत्वपूर्ण माना गया है। मान्यता के अनुसार ऐसा करने से जहां एक ओर व्यक्ति का समाज में मान-सम्मान भी बढ़ने लगता है।

वहीं दूसरी ओर कुंडली में सूर्य से संबंधित दोष दूर होने लगते हैं। लेकिन कई बार लोग अर्घ्य देते हुए ऐसी गलतियां कर जाते हैं जिस वजह से उन्हें इसका फल मिल ही नहीं पाता है। ऐसे में आज हम आपको उन प्रमुख गलतियों के बारे में बता रहे हैं, जिन्हें करने से सूर्य देवता नाराज हो जाते हैं…

भूलकर भी ना करें गलतियां…

: सिर्फ जल अर्पित ना करें
जब भी सूर्य देव की पूजा करें तो उन्हें लाल फूल, गुड़हल का फूल और चावल अर्पित जरूर करें और मीठे का भोग लगाएं। खाली जल भूलकर भी सूर्य देव को अर्पित नहीं करना चाहिए। माना जाता है कि ऐसा करने से भगवान रुष्ट हो जाते हैं। इसलिए जल के साथ पुष्प या अक्षत जरूर रखें। चाहें तो जल में रोली, चंदन या लाल फूल भी डाल सकते हैं।

: पैरों में ना पड़े जल
सूर्य को अर्घ्य लोटे से दें, लेकिन ध्यान रहे कि, जल सीधे आपके पैरों पर ना पड़े। इसका कारण ये माना जाता है कि जो व्यक्ति सूर्य को जल देते हुए अपने पैरों में ही जल डालने लगता है, उसे सूर्य देव का आशीर्वाद नहीं मिलता।

: किस वक्त दें जल
वैसे तो नियमित रूप से सूर्य देव को जल अर्पित करना चाहिए, लेकिन रविवार का दिन इसके लिए सबसे उत्तम माना गया है। तभी तो जो रोज भी सूर्य को जल देना चाहते हैं, उन्हें भी इसकी शुरुआत रविवार से ही करने की सलाह दी जाती है। लेकिन ध्यान रखें कि सूर्य को ब्रह्म मुहूर्त में ही जल अर्पित करने से सबसे अधिक लाभ मिलता है। इसलिए प्रातः स्नान आदि कर साफ स्वच्छ वस्त्र धारण कर ही सूर्य को जल चढ़ाएं।

: ऐसे दें अर्घ्य
सूर्य को अर्घ्य देते हुए तांबे के लोटे का उपयोग करें और पात्र को अपने दोनों हाथों से पकड़े। उसके बाद सिर के ऊपर से चढ़ाएं। ऐसा करने से सूर्य की किरणें पानी के बीच से होती हुईं सीधे शरीर पर पड़ती हैं।

: दिशा का रखें ध्यान
जल तो कई लोग चढ़ाते हैं, लेकिन कुछ लोग कई बार गलत दिशा में जल चढ़ा देते हैं। जिसे अनुचित माना गया है, इसलिए सूर्य को जब भी अर्घ्य दें तो ध्यान रखें कि, आपका मुख पूर्व दिशा की तरफ हो।

अगर कभी सूर्य देव खराब मौसम की वजह से नजर नहीं आ रहे हैं, तो भी पूर्व दिशा की तरफ मुख करके जल अर्पित करें। जल चढ़ाते हुए ध्यान रखें कि, सूर्य की किरणें जल की धार के बीच से जरूर नजर आएं।

सूर्य देव की आरती…
ऊँ जय सूर्य भगवान,
जय हो दिनकर भगवान ।
जगत् के नेत्र स्वरूपा,
तुम हो त्रिगुण स्वरूपा ।
धरत सब ही तव ध्यान,
ऊँ जय सूर्य भगवान ॥
॥ ऊँ जय सूर्य भगवान..॥

सारथी अरूण हैं प्रभु तुम,
श्वेत कमलधारी ।
तुम चार भुजाधारी ॥
अश्व हैं सात तुम्हारे,
कोटी किरण पसारे ।
तुम हो देव महान ॥
॥ ऊँ जय सूर्य भगवान..॥

ऊषाकाल में जब तुम,
उदयाचल आते ।
सब तब दर्शन पाते ॥
फैलाते उजियारा,
जागता तब जग सारा ।
करे सब तब गुणगान ॥
॥ ऊँ जय सूर्य भगवान..॥

संध्या में भुवनेश्वर,
अस्ताचल जाते ।
गोधन तब घर आते॥
गोधुली बेला में,
हर घर हर आंगन में ।
हो तव महिमा गान ॥
॥ ऊँ जय सूर्य भगवान..॥

देव दनुज नर नारी,
ऋषि मुनिवर भजते ।
आदित्य हृदय जपते ॥
स्त्रोत ये मंगलकारी,
इसकी है रचना न्यारी ।
दे नव जीवनदान ॥
॥ ऊँ जय सूर्य भगवान..॥

तुम हो त्रिकाल रचियता,
तुम जग के आधार ।
महिमा तब अपरम्पार ॥
प्राणों का सिंचन करके,
भक्तों को अपने देते ।
बल बृद्धि और ज्ञान ॥
॥ ऊँ जय सूर्य भगवान..॥

भूचर जल चर खेचर,
सब के हो प्राण तुम्हीं ।
सब जीवों के प्राण तुम्हीं ॥
वेद पुराण बखाने,
धर्म सभी तुम्हें माने ।
तुम ही सर्व शक्तिमान ॥
॥ ऊँ जय सूर्य भगवान..॥

पूजन करती दिशाएं,
पूजे दश दिक्पाल ।
तुम भुवनों के प्रतिपाल ॥
ऋतुएं तुम्हारी दासी,
तुम शाश्वत अविनाशी ।
शुभकारी अंशुमान ॥
॥ ऊँ जय सूर्य भगवान..॥

ऊँ जय सूर्य भगवान,
जय हो दिनकर भगवान ।
जगत के नेत्र रूवरूपा,
तुम हो त्रिगुण स्वरूपा ॥
धरत सब ही तव ध्यान,
ऊँ जय सूर्य भगवान ॥

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