पिता का इंतकाल 17 जून 2020 को कोरोना काल के दौरान हो गया था। वह उस समय किर्गिस्तान (रूस) ओएसएच मेडिकल यूर्निवसिटी से एमबीबीएम की द्वितीय वर्ष की पढ़ाई कर रहे थे। पिता के नहीं रहने की खबर मिली तो लगा उसकी तो दुनिया ही खत्म हो गई। लेकिन बाद में परिजनों ने हौसला दिया और जिस पर वह बाद में पढ़ाई पूरी करने में जुट गए और परीक्षा उत्तीर्ण करने के बाद अब वह जल्द इंटर्नशिप करने जाएंगे।
पहले ही चरण में सफलता की हासिल
success story : विदेशी मेडिकल यूर्निवसिटी से मोहम्मद रिजवान ने जुलाई 2023 में एमबीबीएम पूर्ण कर ली। इसके बाद भारत लौटे और फिर फॉरेन मेडिकल ग्रेजुएट एग्जामिनेशन (एफएमजीई) की जनवरी 2024 में हुई परीक्षा में शामिल हुए। रिजवान ने पहले ही चरण में परीक्षा उत्तीर्ण कर अपने पिता का चिकित्सक बनने का सपना पूरा कर लिया। रिजवान कहते हैं कि उनके दादा की भी इच्छा डॉक्टर बनाने की थी। पिता के देहांत के बाद दादा नम्बर 2020 में इंतकाल हो गया। अचानक परिवार से दो सदस्यों के जाने से मन उदास था लेकिन उनके चाचा रईस खान समेत अन्य परिजनों ने हौसला दिया और आज वह चिकित्सक बन गए। रिजवान का छोटा भाई बीएससी कर रहा है और एक बड़ी बहन हैं।