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धौलपुर

एक के नब्बे के मकडज़ाल में उलझकर बर्बाद होती युवा पीढ़ी

राजाखेड़ा. ‘एक के नब्बे के खेल’ सट्टा बाजार अब लोगों को बड़ी संख्या में अपनी गिरफ्त में लेता जा रहा है, जहां जल्दी बड़ा आदमी बनने की चाह में लोग अपनी मेहनत की कमाई को सटोरियों की भेंट चढ़ा रहे हैं। इस सब में सिर्फ क्षेत्र में तेजी से उग आए सटोरियों द्वारा आम जनता औ

धौलपुरJun 13, 2021 / 05:53 pm

Naresh

Young generation getting entangled in the maze of one's nineties

एक के नब्बे के मकडज़ाल में उलझकर बर्बाद होती युवा पीढ़ी

एक के नब्बे के मकडज़ाल में उलझकर बर्बाद होती युवा पीढ़ी
सट्टे की गिरफ्त में बड़ी आबादी

राजाखेड़ा. ‘एक के नब्बे के खेल’ सट्टा बाजार अब लोगों को बड़ी संख्या में अपनी गिरफ्त में लेता जा रहा है, जहां जल्दी बड़ा आदमी बनने की चाह में लोग अपनी मेहनत की कमाई को सटोरियों की भेंट चढ़ा रहे हैं। इस सब में सिर्फ क्षेत्र में तेजी से उग आए सटोरियों द्वारा आम जनता और गरीब मजदूर तबके की मेहनत की राशि तो सुगमता से हड़पी ही जा रही है, वहीं आम आदमी इनके लालच की गिरफ्त में फंसता ही जा रहा है।
खास तौर पर क्षेत्र के युवाओं को जहां नए आयामों के छूने के लिए हर रोज मेहनत के नए रास्ते ढूंढ कर बुलंदियों को हासिल करने की सोचना चाहिए, वहां क्षेत्र में युवा वर्ग अपना पुरुषार्थ छोड़ जल्द करोड़पति बनने की चाह में अपनी किस्मत सट्टे में आजमाते हुए बर्बाद होते नजर आते हैं।
प्रतिष्ठित वर्ग भी लालच के फेर में
बड़े और आसान लाभ की चाहत में गरीब वर्ग ही नहीं, संभ्रांत और व्यापारी वर्ग के लोग भी बड़ी संख्या में सट्टे में किस्मत आजमाते हैं। धीरे धीरे लालच की लालसा बढ़ती चली जाती है और सटोरियों की गिरफ्त में आकर जमीन जायदाद तक से हाथ धो बैठते हैं।
लंबे समय से जारी है खेल
सट्टा व्यवसाय क्षेत्र के लिए कोई नया कारोबार नहीं है, बल्कि दशकों से यह क्षेत्र में अपनी जड़े गहराई से जमा चुका है। जहां महिला पुरूष ही नहीं वरण बड़ी संख्या में नाबालिग भी इस कुचचक्र में फंस कर खुद को बर्बाद कर चुके है। लेकिन हर रोज घाटे को पूरा करने के चक्कर मे अपनी मेहनत की कमाई को इनके सुपुर्द कर आते हैं।
ग्रामीण क्षेत्र के लोग भी सट्टेबाजी में खूब दिलचस्पी दिखाते हैं। उनके लिए यह आवश्यक नहीं की सटोरियों के पास जाकर ही सट्टे का नम्बर लगाया जाए। वर्तमान में स्मार्ट फोन के माध्यम से सारी व्यवस्थाएं सुचारू चलती हैं।
हैरानी की बात यह कि लोग सट्टे के नम्बर को लेने के लिए अंधविश्वास में डूब कर लोग उत्तर प्रदेश व मध्यप्रदेश तक साधु महात्माओं के गहन सम्पर्क में रहते हैं।
कानून में नहीं कड़ी सजा
जुआ सट्टा कानूनन अपराध तो है, पर जमानती है। जिसके चलते सटोरियों को पुलिस गिरफ्तार भी करती है तो राजस्थान प्रिवेंशन ऑफ गैंबलिंग एक्ट में कुछ ही देर में थाना स्तर पर जमानत मिल जाती है और सटोरिया थाने से निकलते ही पुन: अपने धंधे में रम जाता है। कई बार तो पुलिस के दबाव में मासिक आंकड़े पूरे करने के लिए बड़े सटोरिये खुद ही छोटे खाईवालों को थाने भेजकर टारगेट पूरे करवा देते है, जहां सटोरियों पर 500 से 1500 तक के पर्चे दिखा कर पुलिस अपने टारगेट की इतिश्री कर लेती है।
आवश्यक है संगठित अपराध पर चोट
लोगों का मानना है कि पुलिस को छोटे सटोरियों से टारगेट पूरा करने की जगह बड़े गद्दी मालिकों को पकड़ कर उनपर संगठित अपराध की धाराओं में कड़ी कार्यवाही करनी चाहिए। जिससे ऐसे अपराधों पर लगाम लग सके।

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