scriptआधे जींस मिलने पर भी हो सकता है बोनमैरो ट्रांसप्लांट | Bone marrow transplant may also occur on half-jeans | Patrika News
रोग और उपचार

आधे जींस मिलने पर भी हो सकता है बोनमैरो ट्रांसप्लांट

यह सुविधा देश के गिने-चुने अस्पतालों सहित राजस्थान के एसएमएस अस्पताल में मौजूद है

Nov 18, 2017 / 07:31 pm

विकास गुप्ता

bone-marrow-transplant-may-also-occur-on-half-jeans

यह सुविधा देश के गिने-चुने अस्पतालों सहित राजस्थान के एसएमएस अस्पताल में मौजूद है

विभिन्न प्रकार के ब्लड कैंसर और अन्य रक्त संबंधी बीमारियों में बोनमैरो ट्रांसप्लांट किया जाता है। इसके लिए मरीज का डोनर के साथ 100 प्रतिशत जीन्स मैचिंग (एचएलए मिलान) जरूरी होता है। लेकिन अब हाफ एचएलए मिलान पर भी ट्रांसप्लांट करके मरीज की जान बचाई जा सकती है। इसे हैप्लो आइडेंटिकल यानी हाफ एचएलए तकनीक भी कहते हैं। यह सुविधा देश के गिने-चुने अस्पतालों सहित राजस्थान के एसएमएस अस्पताल में मौजूद है जो ब्लड कैंसर, थैलेसीमिया, एप्लास्टिक एनीमिया और रक्त से जुड़े आनुवांशिक विकारों में कारगर है।
यह है प्रक्रिया
फेफड़े, हृदय, किडनी सहित विभिन्न जरूरी जांचें कराई जाती हैं। जांचे सामान्य होने पर मरीज व डोनर का रक्त का नमूना लेकर एचएलए मिलान किया जाता है। मरीज की स्थिति के अनुसार 5-7 बार कीमोथैरेपी देकर उसके बोनमैरो को नष्ट किया जाता है। इसके बाद डोनर के स्टेमसेल इंजेक्शन के जरिए मरीज के शरीर में प्रत्यारोपित करते हैं। इससे नए सिरे से बोनमैरो का निर्माण होता है। इसके बाद भी किसी प्रकार के साइडइफेक्ट से बचाने के लिए दो बार कीमोथैरेपी दी जाती है। पूरी प्रक्रिया में तीन महीने का वक्त लगता है।
बरतें सावधानियां
ट्रांसप्लांट के बाद करीब सालभर तक संक्रमण से बचें।
हाथ धोकर ही खाएं-पीएं, बाहरी और बासी खाने से पूरी तरह परहेज करें।
बीमार व्यक्ति से मिलने से बचें। यदि मिलना पड़े तो मास्क का प्रयोग करें।
विशेषज्ञ के निर्देशानुसार फॉलोअप के दौरान जरूरी जांचें कराएं।
10-15 लाख है सरकारी अस्पताल में खर्च । भामाशाह योजना के तहत छूट दी जाती है जबकि बीपीएल कार्ड धारकों के लिए सुविधा मुफ्त है।
छह महीने तक टीकाकरण
प्रत्यारोपण के बाद एक साल तक मरीज को फॉलोअप के लिए आना पड़ता है। सालभर स्थिति सामान्य रहने पर करीब छह महीने तक उसका टीकाकरण किया जाता है ताकि रोग प्रतिरोधक क्षमता मजबूत की जा सके।
क्या हैं फायदे
ज्यादातर ब्लड कैंसर में अंतिम विकल्प के तौर पर बोनमैरो ट्रांसप्लांट किया जाता है। अब तक इसके लिए सगे भाई-बहन से ही कोशिकाओं को लेना होता था। लेकिन इस नई तकनीक के जरिए मरीज के माता-पिता से भी सेल्स लेकर ट्रांसप्लांट कर सकते हैं। सिर्फ भाई-बहन पर निर्भर रहने की जरूरत नहीं। सफलता दर 70-80 फीसदी तक है।

Home / Health / Disease and Conditions / आधे जींस मिलने पर भी हो सकता है बोनमैरो ट्रांसप्लांट

loksabha entry point

ट्रेंडिंग वीडियो