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जानिए बच्चों को कब नहीं लगवाने चाहिए वैक्सीन

चिकनपॉक्स, डिप्थीरिया, हेपेटाइटिस ए व बी, एचआइवी, लू, एचपीवी, काली खांसी, टिटेनस, दिमागी बुखार, खसरा, हरपीज जोस्टर, म पस, पोलियो, न्यूमोकॉकल वायरस यानी निमोनिया, रोटावायरस, रूबेला आदि बीमारियों से बचाव के लिए वैक्सीनेशन जरूरी है।

जयपुरNov 21, 2019 / 03:55 pm

विकास गुप्ता

जानिए बच्चों को कब नहीं लगवाने चाहिए वैक्सीन

Know when children should not get vaccinated

वैक्सीन एक प्रकार का जैविक रसायन होता है। इससे रोग प्रतिरोधकता बढ़ती है। इसमें मौजूद सूक्ष्म जीवाणु बीमारियों से लड़ते हैं। टीकाकरण समय से नहीं करवा सके हैं तो डॉक्टर से परामर्श लेकर बूस्टर डोज अवश्य लगवाना चाहिए। इससे शरीर कई बीमारियों से लड़ने में सक्षम होता है।

चिकनपॉक्स, डिप्थीरिया, हेपेटाइटिस ए व बी, एचआइवी, लू, एचपीवी, काली खांसी, टिटेनस, दिमागी बुखार, खसरा, हरपीज जोस्टर, म पस, पोलियो, न्यूमोकॉकल वायरस यानी निमोनिया, रोटावायरस, रूबेला आदि बीमारियों से बचाव के लिए वैक्सीनेशन जरूरी है।

टीके कब न लगवाएं : कैंसर-एड्स के रोगी और कमजोर इम्युनिटी वाले बच्चों को डॉक्टरी सलाह पर टीके लगवाना चाहिए। अगर बच्चे को तेज बुखार या एलर्जी है तो डॉक्टर को दिखाकर ही टीके लगवाएं।

त्वचा पर लाल निशान सामान्य लक्षण : टीकाकरण के बाद हल्का बुखार, शरीर में दर्द, सूजन, त्वचा पर लाल निशान, इंजेक्शन वाली जगह गांठ बनना सामान्य लक्षण हैं। बुखार आने पर हल्के गीले कपड़े से बच्चे का शरीर पोंछे। एमएमआर का टीका लगने पर बुखार के साथ बच्चा कम सोता और ज्यादा रोता है। टीके लगवाते समय वैक्सीन की एक्सपायरी तिथि देख लें। वैक्सीन अंतरराष्ट्रीय गाइड लाइन के अनुसार ही लगवाएं। कोल्ड चेन का ध्यान रखें।

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