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खुद को बचाएं हेपेटाइटिस से, जानें इसके बारे में खास बातें

पेटाइटिस के कई प्रकार हैं : हेपेटाइटिस-ए, बी, सी और ई। विभिन्न प्रकार के हेपेटाइटिस के बारे में जानकर आप इससे बचाव कर सकते हैं।

May 04, 2019 / 12:28 pm

विकास गुप्ता

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पेटाइटिस के कई प्रकार हैं : हेपेटाइटिस-ए, बी, सी और ई। विभिन्न प्रकार के हेपेटाइटिस के बारे में जानकर आप इससे बचाव कर सकते हैं।

विषाणुजनित हेपेटाइटिस कई तरीकों से शरीर को नुकसान पहुंचा सकता है लेकिन घर और बाहर इसके खतरे को कम करने के लिए आप कई कदम उठा सकते हैं। हेपेटाइटिस एक ऐसी बीमारी है जो सीधे यकृत यानी लिवर पर हमला करती है।

हेपेटाइटिस के कई प्रकार हैं : हेपेटाइटिस-ए, बी, सी और ई। विभिन्न प्रकार के हेपेटाइटिस के बारे में जानकर आप इससे बचाव कर सकते हैं।

कैसे फैलता है हेपेटाइटिस –
इस रोग का प्रसार अलग-अलग प्रकार के हेपेटाइटिस पर निर्भर करता है। एक व्यक्ति से दूसरे तक हेपेटाइटिस के पहुंचने के दो मुख्य तरीके हैं। पहला माध्यम है संक्रमित रक्त या शरीर से निकलने वाले किसी अन्य तरल पदार्थ के संपर्क में आने और दूसरा, संक्रमित मल के संपर्क में आने से।
हेपेटाइटिस-ए और ई संक्रमित व्यक्ति के मल के जरिए फैलते हैं। इसके अलावा अगर आपने दूषित भोजन या प्रदूषित पानी पिया है। हेपेटाइटिस-ए या ई से संक्रमित हो सकते हैं। हेपेटाइटिस-बी और सी का संक्रमण मुख्य रूप से संक्रमित रक्त के संपर्क में आने से ही फैलता है। यौनसंक्रमण के जरिए संक्रमण का फैलना वैसे तो कम मामलों में देखने को मिलता है लेकिन फिर भी यह एक अहम कारण हो सकता है और खासतौर पर हेपेटाइटिस-बी के मामलों में। ऐसे में जरूरी है कि इन सभी मामलों में हर तरह से सावधानियां बरतकर और इन जोखिमपूर्ण तरीकों का ध्यान रखकर हेपेटाइटिस के खतरे से बचा जाए।

यात्रा के दौरान सावधानियां –
स्वच्छ पानी हर जगह उपलब्ध नहीं होता और दूषित पानी से हेपेटाइटिस-ए व ई हो सकता है। इसलिए जब भी असुरक्षित जलापूर्ति वाले किसी भी इलाके में जाएं तो जितना संभव हो घर से पानी लेकर जाएं। कोल्ड ड्रिंक व जूस में इस्तेमाल होने वाली बर्फ से बचें। ऐसे फल और सब्जियों को न खरीदें या खाएं जिनके गंदे पानी में धुले होने की आशंका हो। दूषित पानी से दांतों की सफाई करने से भी खतरा हो सकता है। नहाते या तैरते वक्त भी ऐसे पानी को मुंह में न जाने दें जो प्रदूषित हो। नियमित रूप से अपने हाथों को धोना न भूलें क्योंकि बार-बार सफाई से भी हेपेटाइटिस-ए और ई से बचाव होता है। यदि हाथ धोने के लिए उपलब्ध पानी के भी प्रदूषित होने की आशंका है तो हैंड सैनेटाइजर का प्रयोग करें।

सुरक्षित यौनसंबंध –
असुरक्षित यौनसंबंध की वजह से भी इस बीमारी का खतरा हो सकता है। सुरक्षित यौनसंबंध बनाने से इस खतरे को कम किया जा सकता है।
सबसे अधिक खतरे वाले लोगों में शामिल हैं- संक्रमित व्यक्ति के साथ संबंध बनाने वाले। एक से अधिक लोगों के साथ यौनसंबंध बनाने वाले लोग।

व्यक्तिगत चीजें साझा करने के जोखिम से बचें –
इंजेक्शन से दवा लेने वालों को अधिक सावधानी की जरूरत होती है। इसमें जोखिम खतरनाक हो सकता है क्योंकि सुई में रक्त की कुछ मात्रा लंबे समय तक बनी रह सकती है। संक्रमित रक्त की थोड़ी मात्रा भी हेपेटाइटिस के खतरे को बढ़ा सकती है। ध्यान रखें कि टैटू बनवाने, पियर्सिंग कराने या एक्यूपंक्चर के लिए इस्तेमाल की गई सुई रोगाणुहीन हो।
बंद पैकेट से निकालकर एक बार इस्तेमाल की जाने वाली सुई का प्रयोग दोबारा न करें। आप ऐसे किसी व्यक्ति के साथ रहते हैं जिसे हेपेटाइटिस है या उसे इस रोग की आशंका है तो अपने निजी प्रसाधन जैसे रेजर और टूथब्रश उसके साथ बिल्कुल भी साझा न करें।

अल्कोहल, दवाएं और हेपेटाइटिस का खतरा –
सभी प्रकार के हेपेटाइटिस का कारण एक विषाणु नहीं होता। विषैला पदार्थ भी लिवर में जलन पैदा कर इस अंग को नुकसान पहुंचा सकता है। अगर आप विषाणुजनित हेपेटाइटिस से पीडि़त हैं तो विषैले पदार्थ लिवर की जलन को और बढ़ा सकते हैं। इन विषैले पदार्थों में अधिक मात्रा में लिया गया अल्कोहल और बिना विशेषज्ञ की सलाह से ली गई एसेटैमीनोफेन (टाइलेनॉल) पेनकिलर शामिल हैं। डॉक्टर द्वारा लिखी गई दवाएं और प्राकृतिक उत्पाद भी कभी-कभी लिवर के लिए खतरनाक होते हैं और हेपेटाइटिस का कारण बनते हैं। इसलिए बेहतर यही है कि आप अल्कोहल से दूरी बनाएं।

हेपेटाइटिस-ए, बी से सुरक्षा के लिए टीकाकरण
हेपेटाइटिस-ए और बी से बचाव के लिए टीके उपलब्ध हैं।
हेपेटाइटिस-ए टीका (हैवरिक्स और वक्टा): यह टीका छह-छह महीने के अंतराल पर दो टीकों की शृंखला में दिए जाते हैं।
हेपेटाइटिस-बी वैक्सीन (रेकॉमबिवैक्स एचबी, कॉमवैक्स और एंजरिक्स-बी) :
ये टीके असक्रिय विषाणुओं से बनाए जाते हैं और छह महीनों के दौरान तीन बार में लगाए जाते हैं।

ध्यान रखें –
टीकाकरण आपको हेपेटाइटिस-ए और बी से बचा सकता है।
आपका भोजन और पानी दूषित नहीं है, यह सुनिश्चित कर हेपेटाइटिस-ए और ई से बचा जा सकता हैै।
विषाणु से पीडि़त व्यक्तिके रक्तके संपर्क में आने से बचकर हेपेटाइटिस-बी और सी से बचाव हो सकता है।

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