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डूंगरपुर

रामलला के मंदिर में होगा राजस्थान के डूंगरपुर की शिल्पकला का दिग्दर्शन

( Ram Mandir Construction Work ) अयोध्या पर उच्चतम न्यायालय के फैसले ( Ayodhya verdict Result ) के बाद अब मंदिर निर्माण की राह खुल गई है। मंदिर ( Ayodhya Ram mandir) को लेकर पत्थरों की घड़ाई पिछले तीन दशक से चल रही है और कारीगरी से जुड़ा अधिकांश काम हो चुका है।

डूंगरपुरNov 11, 2019 / 01:47 am

abdul bari

Craftsmanship of Dungarpur in Ayodhya Ram mandir, Ayodhya mandir stone

Craftsmanship of Dungarpur in Ayodhya Ram mandir, Ayodhya mandir stone

डूंगरपुर.

अयोध्या पर उच्चतम न्यायालय के फैसले ( Ayodhya verdict Result ) के बाद अब मंदिर निर्माण की राह खुल गई है। मंदिर ( Ayodhya Ram mandir) को लेकर पत्थरों की घड़ाई पिछले तीन दशक से चल रही है और कारीगरी से जुड़ा अधिकांश काम हो चुका है। इस काम में डूंगरपुर के सोमपुरा शिल्पकारों का भी बड़ा योगदान है। रामलला का मंदिर जब मूर्तरूप लेगा तो उसमें डूंगरपुर की शिल्पकला का भी दिग्दर्शन होगा। डूंगरपुर शहर तथा सागवाड़ा और उदयपुर के केसरियाजी में निवासरत कई सोमपुरा शिल्पकारों ने अयोध्या में मूर्तियों, कलात्मक खंबों, तोरणद्वार, मंडप, शिखर आदि की घड़ाई कर अपनी कला से प्राण फूंके हैं।
सागवाड़ा से कमलाशंकर और डूंगरपुर के मनोज ( Dungarpur news )

सागवाड़ा के स्व. कमलाशंकर सोमपुरा की अयोध्या मंदिर को लेकर चल रहे कामों में बड़ी भूमिका रही। कमलाशंकर पूर्व में स्वामी संस्थान के मंदिर प्रोजेक्ट में कार्यरत थे। अयोध्या मंदिर के मुख्य आर्किटेक अहमदाबाद के चंद्रकांत सोमपुरा वर्ष 1992 में उन्हें अयोध्या ले गए तथा वहां मंदिर निर्माण के लिए पत्थरों की कटिंग, गढ़ाई आदि के सुपरवीजन की जिम्मेदारी सौंपी। वे भरतपुर के बंशीपुर जाकर मंदिर के लिए उत्कृष्ट गुणवत्ता का पत्थर चयन करने, उसे अयोध्या और पिण्डवाड़ा में चल रही वर्कशॉप पर पहुंचाने, कारीगरों को मार्गदर्शन देने जैसी जिम्मेदारियां निभाते थे। कमलाशंकर सोमपुरा का 12 जुलाई 2000 को निधन होने के बाद उनके पुत्र यशवंत भी इस प्रोजेक्ट से जुड़े और पांच साल तक काम किया।

…मूर्तियों के नमूने बनाने का काम शुरू हुआ

इनके अलावा डूंगरपुर के मनोज रूपशंकर सोमपुरा भी 1991-92 में अयोध्या प्रोजेक्ट से जुड़ गए थे। उन्होंने भी करीब 12-13 वर्ष तक अयोध्या और पिण्डवाड़ा में चल रही राम मंदिर की वर्कशॉप में काम किया। इस बीच कलात्मक खंबों पर लगने वाली मूर्तियों के नमूने बनाने का काम शुरू हुआ। इस पर डूंगरपुर से कन्हैयालाल और कैलाशचंद्र दोनों भाई भी अयोध्या गए तथा सुंदर मूर्तियां बनाई। इनके अलावा ऋषभदेव के कृष्णकांत छोटेलाल, सागवाड़ा के दिलीप हीरालाल, जयप्रकाश नंदलाल आदि ने कई सालों तक सेवाएं दी।
सपना सच होने जैसा… ( ram mandir construction Work )

मंदिर के लिए चल रहे शिल्पकार्य में बरसों तक सेवाएं दे चुके कमलाशंकर सोमपुरा के पुत्र यशवंत और डूंगरपुर के मनोज का कहना है कि जब इस प्रोजेक्ट से जुड़े तब से एक सपना था कि यह मंदिर मूर्तरूप ले। न्यायालय के फैसले के बाद अब यह सपना सच होने का रास्ता साफ हुआ है।

विदेशों तक ख्यातिप्राप्त हैं डूंगरपुर की शिल्पकला ( Craftsmanship of Dungarpur )

डूंगरपुर की शिल्पकला केवल देश ही नहीं विदेशों तक प्रसिद्ध है। यहां के शिल्पकारों ने लंदन में निर्मित अक्षरधाम सहित शिकागो अमेरिका, नैरोबी, खाड़ी देश मस्कट आदि में भी अपनी कला का परिचय दिया है। भारत के अधिकांश प्रसिद्ध मंदिरों में स्थापित मूर्तियां भी डूंगरपुर के शिल्पकारों ने बनाई हैं। मुंबई के वीटी स्टेशन पर स्थापित सिंह आकृतियां डूंगरपुर के मूर्तिकार के हाथों बनी हुई हैं।

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