scriptRajasthan News : इन बेटियों के आगे समस्याओं ने टेके घुटनें, मजदूरी की मजबूरी फिर भी नहीं छोड़ी पढ़ाई, दूसरों के लिए बनी मिसाल | Rajasthan: Problems brought these daughters to their knees, forced to work as laborers but still they did not give up their studies, became an example for others | Patrika News
डूंगरपुर

Rajasthan News : इन बेटियों के आगे समस्याओं ने टेके घुटनें, मजदूरी की मजबूरी फिर भी नहीं छोड़ी पढ़ाई, दूसरों के लिए बनी मिसाल

इनका ख्वाब है कि वे प्रतियोगी परीक्षा पास कर अफसर बने। निराशाओं की धुंध में उम्मीदों की किरण जगाने वाली ये बेटियां डूंगरपुर की विभिन्न पंचायत समितियो में चल रहे रोजगार गारंटी योजना के काम में जुटी हैं।

डूंगरपुरMay 14, 2024 / 03:51 pm

जमील खान

वरुण भट्ट/मिलन शर्मा
Dungarpur News : डूंगरपुर. आंधियों को जिद है जहां, बिजलियां गिराने की, हमे भी जिद है वहीं आशियां बनाने की…। ये पंक्तियां सटीक साबित होती है जिले की उन होनहार बेटियों पर जो इन दिनों मजबूरी के बीच मनरेगा में मजदूरी करने के साथ ही शिक्षा के क्षेत्र में भी कदम आगे बढ़ा रही हैं। विकट पारिवारिक हालात में दिहाड़ी मजदूरी के साथ उच्च शिक्षा से नाता जोड़े रखते हुए अब अब ये दूसरों के लिए भी नजीर बन रही है। इनका ख्वाब है कि वे प्रतियोगी परीक्षा पास कर अफसर बने। निराशाओं की धुंध में उम्मीदों की किरण जगाने वाली ये बेटियां डूंगरपुर की विभिन्न पंचायत समितियो में चल रहे रोजगार गारंटी योजना के काम में जुटी हैं। जिले की चकमहुड़ी गांव में इन दिनों कार्यरत ऐसी ही बेटियों के संघर्ष की पेश है रिपोट…
शिल्पा डामोर
दसवीं में 62 फीसदी, 12वीं विज्ञान संकाय में बॉयोलोजी, केमेस्ट्री एवं फिजिक्स विषयों के साथ 63 फीसदी अंक प्राप्त किए और कॉलेज पूरी करने के बाद प्रतियोगी परीक्षा की तैयारी कर रही है। पिता सोमा और भाई गुजरात में मजदूरी करते हैं।
दुर्गा गमेती
दसवीं में 58 फीसदी, 12वीं में 81 फीसदी अंक प्राप्त करने के बाद कॉलेज अंतिम वर्ष की परीक्षा दी है। पिता रमेश गमेती जीप चलाते हैं। दुर्गा मां रमिलादेवी के साथ रोजगार गारंटी योजना में काम करती है। कहती है सरकारी नौकरी हर हाल में हासिल करुंगी।
भावना वरहात
दसवीं में 49 फीसदी, 12वीं में 77 फीसदी अंक प्राप्त करने के बाद कॉलेज अंतिम वर्ष की परीक्षा देने के साथ प्रतियोगी परीक्षा की तैयारी। पिता जीवालाल बीमार है। मां नर्वदा के साथ नरेगा में कार्य करती है। भाई अहमदाबाद में है।
बेटियां संभाल रही चूल्हे-चौके और रोजगार के साथ शिक्षा की पतवार
दसवीं में 53 फीसदी, 12वीं में 79 फीसदी अंक प्राप्त करने के बाद कॉलेज शिक्षा पूरी की है। पिता घर पर ही है। मां धनुदेवी के साथ रोज नरेगा में काम करती है। घर का काम भी संभालते हुए इच्छा है कि बड़ी अधिकारी बनूंगी। जीवली बताती है कि कई बार हमारे पास पुस्तकें खरीदने के भी रुपए नहीं होते हैं, तो कई बार फीस भी बमुश्किल भरते हैं। लेकिन, हम गांव की बेटियां कॉलेज तक पढ़ गई है।
अन्य बेटियों को प्रेरित कर रही हैं। जिले में मनरेगा में 6791 कार्य चल रहे हैं। इनमें 2 लाख 87 हजार 23 श्रमिक कार्यरत हैं। युवा से लेकर बुजुर्ग तक की श्रेणी में कई श्रमिक उच्च शिक्षा प्राप्त भी हैं। इनमें से कुछेक वर्तमान में उच्च शिक्षा प्राप्त करने के साथ ही प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारियों में भी जुटे हुए हैं। चकमहुड़ी के मेट महेश वरहात ने बताया कि नरेगा में काम रहे कई श्रमिक प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी में भी जुटे हैं। वहीं, नरेगा में नियमित मजदूरी के लिए भी आ रहे हैं। यह श्रमिक में तय समय में अपनी टॉस्क पूरी कर रहे हैं। इसके बाद का जो समय है वह पढ़ाई और घर के आवश्यक कार्य में लगा रहे हैं।

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