हुआ बदलाव, आयु की गणना अब 31 जुलाई से तय
पहले 31 मार्च के आधार पर आयु की गणना की जाती थी। अब संशोधन कर 31 जुलाई तय की गई है। दरअसल आरटीई एक्ट के तहत विभाग इस साल निजी स्कूलों में केवल नर्सरी और पहली कक्षा में ही प्रवेश के आवेदन ले रहा है। नर्सरी कक्षा के लिए शिक्षा विभाग ने बच्चों की आयु सीमा तीन साल से अधिक एवं चार साल से कम तथा पहली कक्षा में प्रवेश के लिए छह साल से अधिक एवं सात साल से कम तय की है। ऐसे में चार साल से अधिक एवं छह साल से कम आयु के बच्चों का निजी विद्यालयों में निशुल्क प्रवेश नहीं हो पाएगा।
25 फीसद सीटों पर होता है निशुल्क प्रवेश
आरटीई एक्ट के तहत निजी स्कूलों की 25 फीसदी सीटों पर आर्थिक दृष्टि से कमजोर व असुविधाग्रस्त वर्ग के बच्चों का निशुल्क प्रवेश किया जाता है। इसकी एवज में सरकार निजी स्कूलों को पुनर्भरण राशि जारी करती है। एक्ट के तहत प्रवेश मिलने पर बच्चा कक्षा आठ तक स्कूल में निशुल्क अध्ययन कर सकता है। इसे अब कक्षा 12 तक के लिए बढ़ा दिया है।
मई में खुलेगी लॉटरी
प्रारम्भिक शिक्षा निदेशालय द्वारा जारी टाइम फ्रेम के अनुसार अभिभावक 29 मई तक प्रवेश के लिए आवेदन के साथ दस्तावेज अपलोड कर सकेंगे। राज्य स्तर पर ऑनलाइन लॉटरी एक मई को निकाली जाएगी। वही, अभिभावक आठ मई तक ऑनलाइन रिपोर्टिंग करेंगे। विद्यालयों द्वारा आवेदन पत्रों की जांच 15 मई तक की जाएगी। हालांकि, निजी विद्यालयों को आरटीई का भुगतान समय पर नहीं मिलने से उन्हें आर्थिक परेशानियों का भी सामना करना पड़ रहा है।
अभिभावकों के सामने प्रवेश का संकट गहरा
आरटीई एक्ट के तहत प्रवेश में पिछले साल तक आयु की कोई समस्या नहीं थी। सभी प्री-प्राइमरी से लेकर पहली कक्षा तक प्रवेश का विकल्प खुला था। इसके कारण तीन से लेकर छह साल तक के सभी बच्चों को आयु के अनुसार प्रवेश संभव हो पा रहा था। पर, इस साल प्री-प्राइमरी को एंट्री लेवल व पहली कक्षा में ही प्रवेश का नियम लागू होने से बच्चों के साथ-साथ अभिभावकों के सामने प्रवेश का संकट गहरा गया है।
मसला निदेशालय स्तर का है, वहीं से हो सकता है समाधान
मुख्य जिला शिक्षा अधिकारी डामोर रणछोड़लाल यह मसला निदेशालय स्तर का है। वहीं से समाधान हो सकता है। प्रावधानों में बदलाव होता है, तो कई बच्चों को लाभ मिलेगा।