सुरक्षा उपकरणों के साथ विशेषज्ञों की मौजूदगी में सुबह 11 बजे घोड़े (Horse) को दफनाया गया। पशु चिकित्सा विभाग के डॉ. एसके गुप्ता व डॉ. नम्रता सहित तीन सदस्यीय टीम इस दौरान मौजूद रही। विनिष्टीकरण की पूरी प्रक्रिया विशेषज्ञों की देखरेख में हुई। इसके लिए निगम की जेसीबी की मदद से 10 बाई 10 का गड्ढा खोदा गया। गड्ढे में घोड़े को दफनाने के बाद आसपास के इलाके में एहतियातन चूने का छिड़काव भी किया गया। (Durg news)
मुकुंद भवन के पास बैजनाथ पारा निवासी मोहम्मद अमजद का घोड़ा ग्लैंडर्स वायरस से पीडि़त था। कुछ दिनों पूर्व उनके परिचित राजनांदगांव निवासी रफीक अपने घोड़े को लेकर उनके यहां आया था। इस घोड़े की भी ग्लैंडर्स वायरस था। इसके बाद 20 जून को अमजद के घोड़े में भी ग्लैंडर्स वायरस (Glanders virus) के लक्षण दिखने लगा। जिसकी सूचना पशु चिकित्सा विभाग को दी गई। जांच कराए जाने पर घोड़े के वायरस से पीडि़त होने का पता चला। इसके बाद पशुधन चिकित्सा विभाग ने एहतियातन पीडि़त घोड़े को आइसोलेशन क्षेत्र बनाकर अपने संरक्षण में रखवा लिया था। (Durg news)
ग्लैंडर्स एक संक्रामक बीमारी है जो कि जीवाणु बुर्कोप्रेनिया मलेली के कारण होता है। ग्लैंडर्स मुख्य रूप से घोड़ों को प्रभावित करने वाली बीमारी है। यह गधों और खच्चरों को भी प्रभावित करता है और अन्य स्तनधारियों जैसे कि बकरियों, कुत्तों और बिल्लियों द्वारा स्वाभाविक रूप से अनुबंधित किया जा सकता है। वहीं जानवरों के संपर्क में रहने वाले मनुष्य का स्वास्थ्य भी इसके प्रभाव में आने से बिगड़ जाता है।