अब निगम से फाइल ही गायब हो गई। इसके पहले उरला में निर्मित आइएचएसडीपी आवास की फाइल भी गायब हो चुकी है। शहर को आवारा कुत्तों के आंतक से छुटकारा दिलाने के नाम पर सिरसा खुर्द में वर्ष 2015 में डॉग हाउस बनाया गया था। तकनीकी खामियों व गुणवत्ता में कमी के कारण यह अनुपयोगी हो गया। डॉग हाउस से कुत्तों के भाग जाने के बाद गुणवत्ता को लेकर विवाद के चलते सामान्य सभा में निर्माण की जांच के लिए कमेटी बनाई गई थी। जांच दल में पार्षद आशीष दुबे के नेतृत्व में तात्कालिन नेता प्रतिपक्ष अब्दुल गनी, पूर्व महापौर आरएन वर्मा,भोला महोबिया व कुलेश्वर साहू शामिल किए थे। Durg nagar nigam
जांच दल ने रिपोर्ट के साथ संबंधित अफसरों की जिम्मेदारी तय कर खर्च की राशि वसूली की सिफारिश की थी। जांच कमेटी का कहना था कि सामान्य सभा में निर्माण की अनुमति नहीं ली गई है। ऐसे में जिस अधिकारी के निर्देश पर काम कराया गया, उनसे खर्च की गई राशि वसूल करने की अनुशंसा की गई थी। Dog house Durg
नवंबर-दिसंबर 2017 में जांच दल के रिपोर्ट सौंपे जाने के बाद वर्ष 2018 के बजट की बैठक में यह मामला उठा था। बैठक में जांच कमेटी की सिफारिश के अनुरूप वसूली का प्रस्ताव शासन को भेजने का फैसला बहुमत के आधार पर लिया गया था। करीब डेढ़ साल बाद भी यह प्रस्ताव शासन को नहीं भेजा गया है।
जांच दल ने अफसरों की मौजूदगी में डॉग हाउस का निरीक्षण किया था। स्थानीय लोगों से भी जानकारी जुटाई थी। इसमें निर्माण में व्यापक गड़बड़ी का खुलासा हुआ था। बड़ा सवाल-शासन को क्यों नहीं भेजी वसूली की
निगम की सामान्य सभा ने जांच रिपोर्ट के मुताबिक वसूली की अनुशंसा कर शासन को भेजने का निर्णय लिया था। क्योंकि इस मद में शासन से फंड मिला था। फिर ऐसा क्या हुआ कि डेढ़ साल बाद मामला शासन को नहीं भेजा गया। अब फाइल गुमने की बात बात क्यों कही जा रही है। संदेह तो यह है कि सोची समझी रणनीति के तहत फाइल गायब की गई है ताकि मामला रफा दफा हो जाए।
आरटीआइ एक्टिविस्ट मेहरमान सिंह ने मामले में सूचना का अधिकार अधिनियम के तहत जानकारी मांगी है। इस पर निगम प्रशासन द्वारा डॉग हाउस से संबंधित फाइल कार्यालय में उपलब्ध नहीं होने की मौखिक जानकारी दी गई है। लिखित में जानाकारी देने से अधिकारी कतरा रहे हैं।
उरला में आइएचएसडीपी आवास की फाइल भी निगम से गुम चुकी है। इस मामले में दो कर्मचारी निलंबित है। मामले में एफआइर दर्ज कराने के आदेश भी दिए जा चुके हैं, उसके बाद भी एफआइआर दर्ज नहीं करया गया है। अब हितग्राहियों से ही जानकारी लेकर नई फाइल तैयारी की जा रही है।
कुत्तों को रखने के लिहाज से अनुपयोगी निर्माण का इस्तेमाल कांजी हाउस के रूप में किया जा रहा था। जांच दल को दो मृत और एक मरणासन्न गाय मिलीं। जांच में गायों की देखभाल में भी व्यापक गड़बड़ी पाई गई। डॉग हाउस में जहां जीवित गायों को रखा गया है, वहीं पास में ही मृत गायों की चीरफाड़ की जा रही थी।