न्यायालय ने कहा कि पीडि़ता के साथ किए गए अपराध से हुई क्षति की प्रतिपूर्ति धन के रूप में नहीं हो सकती। फिर भी उसके शारीरिक, मानसिक एवं स्वास्थ्य के लिए और उसके आगामी भविष्य को दृष्टिगत रखते हुए पीडि़त प्रतिकर योजना 2011 के दिशा निर्देश के पालन में क्षतिपूर्ति दिया जाना न्यायहित में उचित प्रतीत होता है। अर्थदंड की राशि भी पीडि़ता को प्रदाय हो। न्यायलय ने पीडि़त बच्ची को उचित प्रतिकर राशि देने का आदेश दिया।
यह अमानवीय घटना 26 अगस्त 2019 की है। बच्ची शाम को करीब 6 बजे अन्य बच्चों के साथ अपने घर के पास खेल रही थी। उसकी मां दूसरों के घर काम करती है। वह काम पर गई थी। पिता रिक्शा चलाने गया था। अभियुक्त ओमप्रकाश उसे मिठाई का लालच देकर अपने साथ ले गया और बच्ची को अपनी हवस का शिकार बनाया। शाम करीब सात बजे उसकी मां काम से लौटी और बच्ची के बारे में अन्य बच्चों से पूछा। फिर किसी के घर खेल रही होगी सोचकर घर के काम में लग गई। कई बार उसका पिता भी बच्ची को अपने साथ ले जाता था। फिर रात 11 बजे उसका पति भी लौट आया। उसने कहा कि बच्ची को वह अपने साथ नहीं ले गया है। फिर रात को बच्ची की खोजबीन शुरू हुई। पता चला कि एक बच्ची जिला अस्पताल दुर्ग में भर्ती है। दोनों पति-पत्नी जिला अस्पताल गए। बच्ची उन्ही की निकली। वे उसे घर ले आए। सुबह बच्ची के अंडवियर में खून देखकर उसकी मां हड़बड़ा गई। अंडरवियर खोलकर देखा तो धक से रह गई। खून बह रहा था। बच्ची ने दर्द होने की बात कही। फिर अपने साथ घटित घटना के बारे में बताया। तब इसकी रिपोर्ट सुपेला थाने में की गई।
विशेष लोक अभियोजक कमल किशोर वर्मा ने बताया कि इस मामले में पुलिस ने धारा 366, 376 क ख, लैंगिक अपराधों से बालकों के संरक्षण अधिनियम के तहत प्रकरण दर्ज कर न्यायालय में चालान पेश किया था। आरोपी को गिरफ्तार कर पुलिस ने जेल भेज दिया था। आरोपी को वहां आसपास के बच्चे भूत अंकल बोलते थे। यही एक बड़ी कड़ी बनी और पुलिस आरोपी तक पहुंच गई।
विशेष लोक अभियोजक ने बताया कि बच्ची को पुलिस ने जिला अस्पताल पहुंचाया था। देर शाम बच्ची को अकेली देखकर किसी ने पुलिस को सूचना दी। तब पुलिस उसे पहले उतई अस्पताल ले गई। वहां कोई डॉक्टर नहीं था तो जिला अस्पताल में ले जाकर भर्ती करवा दिया।
जिला अस्पताल की यहां बड़ी लापरवाही सामने आई है। पुलिस ने बच्ची को भर्ती करा दिया मगर बच्ची की जांच नहीं की गई। रात में खोजते हुए उसके माता-पिता पहुंचे। बच्ची को छुट्टी करवा कर घर ले गए। बिना जांच के उसे अस्पताल से छुट्टी भी दे दी गई। रात में ही बच्ची की जांच की जाती रात में ही घटना का पचा चल जाता। बच्ची का उपचार भी होता। माता पिता उसे घर ले गए तब दूसरे दिन सुबह घटना का खुलासा हुआ जब मां ने बच्ची के अंडवियर पर खून देखा।