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शनि देव के इस चमत्कारिक मंदिर की ये 10 बातें जानकर हैरान रह जाएंगे आप, उल्कापिंड से हुआ था मूर्ति का निर्माण

Shanishchara temple Morena : बजरंगबली ने रावण की कैद से मुक्त कराकर शनि देव को मुरैना के जंगल में स्थापित किया था शनि देव के इस मंदिर के आस-पास काफी लौह तत्व है, इसी के चलते यहां दर्शन का विशेष महत्व है

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शनि देव के इस चमत्कारिक मंदिर की ये 10 बातें जानकर हैरान रह जाएंगे आप, उल्कापिंड से हुआ था मूर्ति का निर्माण

नई दिल्ली। देश में शनि देव के कई ऐसे चमत्कारिक धाम हैं जिनके दर्शन करने मात्र से भक्तों के कष्ट दूर हो जाते हैं। इन्हीं मंदिरों में से एक है मुरैना में स्थित शनि धाम। मान्यता है कि यहां विराजमान शनि देव की मूर्ति का निर्माण आकाश से गिरे हुए उल्कापिंड से हुआ है। बताया जाता है कि ये देश का सबसे प्राचीन शनि मंदिर है। इसकी स्थापना त्रेता युग में हुई थी।

1.शनि देव का ये मंदिर मध्य प्रदेश में ग्वालियर के नजदीकी एंती गांव में स्थित है। ज्योतिषी व खगोलविद के अनुसार यह मंदिर सुनसान इलाके और जंगल में होने की वजह से ज्यादा महत्वपूर्ण है।

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2.बताया जाता है कि नासिक के शनि शिंगणापुर में विराजमान शनि देव की शिला भी इसी पर्वत से ले जाई गई है। इसलिए मुरैना स्थित शनि का ये धाम सबसे प्राचीन माना जाता है।

3.पौराणिक धर्म ग्रंथों के अनुसार श्री शनि देव मंदिर का निर्माण राजा विक्रमादित्य ने करवाया था। त्रेतायुग में इस मंदिर की खोज हुई थी।

4.रियातसकालीन दस्तावेजों के मुताबिक 1808 में ग्वालियर के तत्कालीन महाराज दौलतराव सिंधिया ने मंदिर की व्यवस्था के लिए जागीर लगवाई। तत्कालीन शासक जीवाजी राव सिंधिया ने 1945 में जागीर को जप्त कर यह देवस्थान औकाफ बोर्ड ऑफ़ ट्रस्टीज ग्वालियर के प्रबंधन में सौंप दिया था।

5.तबसे इस देवस्थान का प्रबंधन मध्य प्रदेश सरकार कर रही थी। वर्तमान में इसका प्रबंधन जिला प्रशासन मुरैना की ओर से किया जा रहा है।

6.पौराणिक ग्रंथों के अनुसार बजरंगबली ने इस मंदिर में शनि की स्थापना की थी। क्योंकि सतयुग में रावण ने शनि देव को बंधक बना लिया था। तब हनुमान जी ने उन्हें कैद से मुक्त कराया था। मगर शनि देव के कमजोर शरीर के चलते उन्होंने बजरंगबली से उन्हें किसी सुरक्षित स्थान पर रखने की बात कही थी। तब हनुमान जी ने उन्हें मुरैना स्थित पर्वत पर शनि देव को स्थापित किया था।

7.बताया जाता है कि जिस वक्त हनुमान जी ने शनि देव की स्थापना की, तभी वहां पास में उल्कापिंड गिरे थे। उसी उल्का से निकलने वाली शिला से शनि देव के विग्रह का निर्माण हुआ। मंदिर के पास उल्कापिंड गिरने से हुए गड्ढे का निशान आज भी मौजूद है।

8.स्थानीय लोगों के मुताबिक शनि धाम के आस-पास लौह तत्वों की भरमार है। यहां जमीन से लोहा निकलता है। चूंकि शनि देव का संबंध लोहे से है, इसलिए इस जगह की विशेष मान्यता है।

9.मंदिर के पुजारी के अनुसार शनि मंदिर मुरैना में दर्शन करने से व्यक्ति को सभी तरह के कष्टों से छुटकारा मिलता है। इससे शनि दोष का नकारात्मक प्रभाव भी दूर होता है।

10.शनि देव के इस चमत्कारिक मंदिर में तेल चढ़ाने और छाया दान करने से व्यक्ति को पुण्य की प्राप्ति होती है। साथ ही भक्त की सारी मनोकामनाएं पूरी होती हैं।