
पुराने जमाने से लेकर मॉर्डन—एरा तक हर जमाने के लोगों की पहली पसंद है लेदर आइट्मस। आज भी ज्यादातर लोगों को प्योर चमड़े से बना पर्स, बेल्ट, बैग आदि रखना अच्छा लगता है, लेकिन आजकल बाजार में मिलने वाले नकली चमड़े के चलते असली—नकली में फर्क करना बहुत मुश्किल हो गया है। आज हम आपको लेदर को पहचानने के 10 ट्रिक्स बताएंगे।

असली और नकली लेदर में फर्क करने का सबसे अच्छा तरीका है इस पर पिन से छेद करके देखना। इससे असली चमड़ा नहीं कटेगा। साथ ही कुछ देर बाद पिन का निशान अपने आप गायब हो जाएगा। जबकि नकली लेदर की परत कट जाएगी।

असली—नकली चमड़े को पहचानने का दूसरा आसान तरीका है उसे दबाकर या खींचकर देखना। अगर चमड़ा असली है तो इसमें सिकुड़न और खिंचाव नजर आएगा और अगर नकली है तो इस पर कोई फर्क नहीं दिखेगा।

असली लेदर की पहचान के लिए उसकी सिलाई देखना बहुत जरूरी होता है। चूंकि असली लेदर का पिछला हिस्सा बहुत खुरदुरा होता है और उसमें रेशे निकले होते हैं इसलिए इसमें सिलाई पास की जाती है। जबकि नकली लेदर के पीछे का हिस्सा भी चिकना रहता है।

असली—नकली लेदर की एक और बड़ी पहचान है कि असली चमड़े में बहुत छोटे-छोटे छेद होते हैं। ये बिल्कुल शरीर के रोमछिद्र जैसे दिखते हैं। वहीं नकली लेदर में छेद की जगह डिजाइन बनी होती है।

असली लेदर कभी भी ज्यादा चमकदार नहीं होता है। इसका ऊपरी भाग थोड़ा मुलायम होता है मगर चमक नहीं होती। जबकि असली लेदर में काफी शाइनिंग होती है।

चमड़े की खासियत उसका टिकाऊ होना होता है। इसलिए असली लेदर सालों—साल तक खराब नहीं होता है। न ही इसमें सिलवटें पड़ती है और न ही ये गलता है। जबकि नकली चमड़े में थोड़ा रैक्सीन मिला होात है। जो ज्यादा समय तक नहीं चलता है।

असली—नकली लेदर का पता इसे जलाकर भी लगाया जा सकता है। अगर चमड़ा असली होगा ते वो आसानी से नहीं जलेगा और बहुत देर तक जलाने की कोशिश करने पर इसमें से अजीब सी बदबू आने लगेगी। जबकि नकली लेदर तुरंत आग पकड़ लेगा।

असली चमड़े की एक और पहचान होती है कि उसका स्वरूप एक जैसा नहीं रहता है। इसकी कुछ सतह मुलायम व कुछ खुरदुरी होती है। इसलिए आप लेदर के सामानों को छूकर इसका पता लगा सकते हैं।

चूंकि असली चमड़ा जानवरों की खाल से बना होता है इसलिए इनकी सतहत कहीं से मोटी व कहीं से पतली होती है। इसे 10 साल तक रखने से भी इसमें किसी तरह का बदलाव नहीं आता है।