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पितृ पक्ष 2018 : इन तीन चीजों के बिना अधूरी है श्राद्ध प्रक्रिया, भूलकर भी न करें नजरअंदाज

पितृ पक्ष में पितरों को प्रसन्न करने के काला तिल बहुत जरूरी होता है, इसकी उत्पत्ति भगवान विष्णु से हुई है।

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shradh kriya

पितृ पक्ष 2018 : इन तीन चीजों के बिना अधूरी है श्राद्ध प्रक्रिया, भूलकर भी न करें नजरअंदाज

नई दिल्ली। पितृ पक्ष आज से शुरू हो गए हैं, हालांकि प्रतिपदा कल होगी। श्राद्ध क्रिया में तिल, कुश और तुलसी दल बहुत जरूरी होते हैं। इनके बिना तर्पण नहीं किया जा सकता है। तो क्यों है ये इतने महत्वपूर्ण आइए जानते हैं।


1.कुश को सबसे शुद्ध माना जाता है और ये भगवान विष्णु का अहम हिस्सा है इसलिए श्राद्ध कार्य में इसका होना बहुत जरूरी होता है। धार्मिक ग्रंथों के अनुसार कुश की उत्पति भगवान विष्णु के रोम से हुई है और इसे धारण करके तर्पण करने से मृतक की आत्मा को बैकुंठ की प्राप्ति होती है।


2.पितृ पक्ष में श्राद्ध के दौरान तिल का प्रयोग भी जरूरी होता है। क्योंकि तिल की उत्पत्ति भी विष्णु जी से हुई है। ये नारायण के पसीने से निकला है। ऐसे में इससे पिंडदान करने से मृतक को मोक्ष की प्राप्ति होती है।


3.तर्पण क्रिया में काले तिल पितृ कर्म करना शुभ माना जाता है क्योंकि ये विष्णु जी का प्रिय होने के साथ ये यम के देवता को भी समर्पित होता है। इसलिए पिंड दान करते समय चावल के साथ काला तिल मिलाया जाता है।


4.श्राद्ध पक्ष में की जाने वाली पूजा में तुलसी दल भी महत्वपूर्ण होता है। क्योंकि माना जाता है कि तुलसी कभी अपवित्र या बासी नहीं होती है। इसलिए एक दिन चढ़ाई गई तुलसी का प्रयोग दोबारा किया जा सकता है।


5.पौराणिक ग्रंथों के अनुसार तुलसी, ब्राह्मण, गौ एवं तिल मोक्ष प्रदान करने वाले हैं। पितृ पक्ष में श्राद्ध क्रिया के दौरान इनमें से किसी भी चीज का दान मृतक की आत्मा को मुक्ति दिला सकते हैं। धर्म ग्रंथ के मुताबिक तुलसी की महक से पितृ गढ़ प्रसन्न होते हैं।


6.पौराणिक मान्यताओं के अनुसार श्राद्ध क्रिया में तुलसी दल चढ़ाने से भूलोक पर आए हुए पितर खुश होते हैं। इससे वो परिवारजनों पर अपना आशीर्वाद देते हैं। साथ ही उनकी आत्मा अनंतकाल के लिए तृप्त रहती है।


7.श्राद्ध क्रिया में ब्राह्मणों को बैठाकर पैर धोना भी शुभ माना जाता है। इससे बड़ों का आशीर्वाद मिलता है। ध्यान रहे कि ब्राम्हणों के चरण धुलते समय वे खड़े न रहें। ऐसा करने से पितृ नाराज हो सकते हैं।


8.पितरों की आत्मा की शांति के लिए अपने सामथ्र्यनुसार दान करें। इससे पितृ प्रसन्न होते हैं और आपके खुशहाली आएगी। पितृ पक्ष में गाय, भूमि, तिल, सोना, घी, वस्त्र, धान्य, गुड़, चांदी, नमक इन दस वस्तुओं का दान महादान कहलाता है।


9.इसके अलावा आप तिल, लोहा, सोना, कपास, नमक, सप्त धान्य, भूमि और गौ का भी दान कर सकते हैं। ये अष्ट महादान कहलाते हैं। ऐसा करने से आपके घर में समृद्धि आएगी।