
रंग की खुमारी में डूबने को तैयार देश के कोने कोने में किसी एक क्षेत्र में केवल एक ही प्रकार की होली मनाई जाती है। वहीं कान्हा की नगरी में परंपरागत होली से हटकर भी विभिन्न प्रकार की होली मनाई जाती है। यहां पर अगर नन्दगांव और बरसाना की लठामार होली खेली जाती है तो रावल और महाबन की छड़ीमार होली भी होती है। यहां मुखराई का अगर चरकुला नृत्य होता है तो श्यामसुन्दर और किशोरी जी की फूलों की होली भी होती है। यहां राधा और श्रीकृष्ण के बड़े भाई बलराम की होली होती है तो नौहझील में कीचड़ की होली भी होती है।
Published on:
01 Mar 2018 09:03 pm
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