
हर कोई अपने वंश को बढ़ाने के लिए बच्चे की चाहत रखता है, लेकिन कई बार शारीरिक कमी एवं अन्य कारणों से उनका ये सपना पूरा नहीं हो पाता। इससे बचने के लिए वो महंगे से मंहगा इलाज कराते हैं, लेकिन कई बार इससे भी फायदा नहीं होता है। जब लोग सभी चीजों से हारकर निराश हो जाते हैं तब हिमाचल में मौजूद एक मंदिर इनमें आशा की किरण जगाता है। मान्यता है कि यहां महिलाओं के सोने मात्र से उनकी गोद भर जाती है। तो क्या है मंदिर से जुड़ा रहस्य आइए जानते हैं।

हिमाचल के मंडी जिला की लड़भडोल तहसील के सिमस गांव में मौजूद एक मंदिर बहुत ही चमत्कारिक है। कहते हैं कि यहां सूनी कोख लेकर आने वाली महिलाएं कभी खाली हाथ नहीं जाती हैं। उनके मां बनने की हसरत जरूर पूरी होती है।

इस मंदिर का नाम मां सिमसा है। इनकी महिमा के चलते इन्हें संतान-दात्री भी कहा जाता है। हर वर्ष यहां निसंतान दंपति संतान पाने की इच्छा लेकर आते हैं। नवरात्रों में यहां विशेष उत्सव का आयोजन किया जाता है। जिसे सलिन्द्रा के नाम से जाना जाता है।

कहते हैं कि इस मंदिर के फर्श पर जो भी निसंतान महिला सोती है, उसकी गोद जल्द ही भर जाती है। इसके लिए मां शारदा स्वयं उस महिला के सपने में आकर ये संकेत देती हैं। इसके अलावा वो महिला के बेटा होगा या बेटी इस बात की ओर भी इशारा करती हैं।

बताया जाता है कि मंदिर में सोने वाली महिलाओं को सपने में धातु एवं कई अन्य वस्तुएं दिखती हैं। जो महिला को बच्चे से संबंधित अलग—अलग संकेत देते हैं। लोगों का मानना है कि ये संकेत स्वयं देवी मां उन्हें देती हैं।

अगर किसी महिला को सपने में फल दिखता है तो इसका मतलब होता है कि जल्द ही उसके घर में किलकारी गूंजेगी। साथ ही अगर महिला को सपने में अमरूद भी दिखता है तो इसका मतलब होता है उसे पुत्र प्राप्त होगा।

इसके अलावा यदि किसी महिला को सपने में भिंडी दिखती है तो उसका अर्थ होता है कि उसके घर कन्या का जन्म होगा। मगर यदि सपने में धातु या लकड़ी के सामान कोई चीज दिखे तो इसे बुरा संकेत माना जाता है।

कहते हैं कि जिस महिला को सपने में अशुभ संकेत मिलते हैं उसका मतलब है कि उसकी कोख हमेशा सूनी रहेगी। ऐसे संकेत मिलने के बाद महिला को तु्ंरत मंदिर परिसर छोड़ना पड़ता है। यदि महिला वहां से न जाए तो उसे देवी के दंड का प्रकोप झेलना पड़ता है।

सिमसा माता मंदिर के पास एक चमत्कारिक पत्थर भी है। कहते हैं कि यह पत्थर इतना भारी है कि इसे दोनों हाथों के जोर लगाने पर भी टस से मस नहीं किया जा सकता है, लेकिन यदि श्रद्धा से देवी मां का ध्यान करके अपने हाथ की सबसे छोटी अंगुली से इसे उठाने की कोशिश करेंगे तो यह हिलने लगेगा।

सिमसा माता मंदिर के पास एक चमत्कारिक पत्थर भी है। कहते हैं कि यह पत्थर इतना भारी है कि इसे दोनों हाथों के जोर लगाने पर भी टस से मस नहीं किया जा सकता है, लेकिन यदि श्रद्धा से देवी मां का ध्यान करके अपने हाथ की सबसे छोटी अंगुली से इसे उठाने की कोशिश करेंगे तो यह हिलने लगेगा।